गुजरात का धोती कांड अब इतिहास में दर्ज हो गया है। अहमदाबाद सेशन कोर्ट ने धोतीकांड की फाइल बंद कर दी है। धोती कांड एक समय सियासी प्रतीक बन गई थी।
गुजरात में केशुभाई पटेल के नेतृत्व वाली BJP सरकार के खिलाफ शंकर सिंह वाघेला के विद्रोह ने लंबे समय तक अपनी छाया बनाए रखी। इस विद्रोह का एक सिरा धोती कांड से जुड़ा था। जिसकी फाइल अब क्लोज कर दी गई है। 29 साल के बाद अहमदाबाद के सेशन कोर्ट ने इस केस को खत्म कर पूर्व केंद्रीय मंत्री एक पटेल को बड़ी राहत दी है।
दरअसल, साल 1996 में अटल बिहारी वाजयपेयी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। इस चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने दो सीटों लखनऊ और गांधीनगर से चुनाव लड़ा और जीते। बाद में अटल ने गांधीनगर की सीट छोड़ दी। 20 मई 1996 को उनके सम्मान में अहमदाबाद के सरदार पटेल स्टेडिय में बीजेपी ने समारोह का आयोजन किया था।
जैसे ही अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण खत्म हुआ। सभास्थल का माहौल गरमा गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के साथ शंकर सिंह वाघेला का लंबे समय से मतभेद चलता आ रहा था। वाघेला के समर्थक अमृतलाल पटेल और मंगलदास पटेल ने कथित तौर पर आत्माराम हमला कर दिया। इस दौरान आत्माराम की धोती खींच ली गई। यह घटना उस वक्त की सियासी हलचल की प्रतीक बन गई और धोती कांड के नाम से फेमस हो गई। साथ ही, इस मामले में नारनपुरा थाने में हत्या का प्रयास के तहत मामला दर्ज कर लिया गया.
बीते गुरुवार को अहमदाबाद की सेशंस कोर्ट में पब्लिक प्रोॉसिक्यूटर सुधीर ब्रह्मभट्ट ने CrPC की धारा 321 का हवाला देते हुए केस वापस लेने की अर्जी दी। उन्होंने कोर्ट से कहा कि यह मामला अब 28 साल पुराना है और इसमें शामिल मुख्य गवाह (पीड़ित) आत्माराम पटेल और सह-अभियुक्त मंगलदास पटेल अब इस दुनिया में नहीं हैं। कोर्ट ने इस अर्जी को स्वीकार करते हुए कहा कि यह एक आंतरिक राजनीतिक विवाद था और इसे अब खत्म करना न्याय के हित में है। एडिशनल सेशंस जज एच जी पंड्या ने कहा, "प्रॉसिक्यूटर की अर्जी में नेकनीयति दिखती है। मामले की प्रकृति और रिकॉर्ड को देखते हुए, केस वापस लेने की इजाजत दी जाती है।"