Rare comets: लगभग 1 लाख 60 हजार वर्ष के बाद आकाश में एक दुर्लभ घटना घटी है। इस धूमकेतु को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे।
Rare Comet: लगभग 1 लाख 60 हजार वर्ष के बाद आकाश में एक दुर्लभ घटना घटी है। पिछले साल 5 अप्रेल 2024 को खोजा गया धूमकेतु सी/2024 जी-3 (एटलस) सोमवार अपरान्ह 3.50 बजे सूर्य के करीब पहुंचकर आगे निकल गया। इस धूमकेतु को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे। कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि आकाश में दो-दो सूर्य एक साथ नजर आएंगे।
भारतीय ताराभौतिकी संस्थान के प्रोफेसर (सेनि) रमेश कपूर ने कहा कि इस धूमकेतु की कक्षा अति दीर्घवृत्ताकार या अति परवलयाकार हो सकती है। सुदूर अंतरिक्ष से लाखों साल की यात्रा करके यह धूमकेतु भीतरी सौरमंडल में आ पहुंचा है। अपने पथ में अग्रसर यह सूर्य से निकटतम दूरी पर 13 जनवरी को भारतीय समयानुसार 15.50 बजे पहुंचा और वापस धूमकेतुओं के सुदूर अंतरिक्ष में स्थित ऊर्ट बादल में जाने के लिए मुड़ गया। यानी, यह धूमकेतु जहां से आया था उसी ओर चल पड़ा है। मानव इतिहास में इस धूमकेतु का यह प्रथम आगमन है।
उन्होंने कहा कि कोई भी धूमकेतु सूर्य के समान चमक हासिल नहीं कर सकता है। लेकिन, संभव है कि यह धूमकेतु एक समय तारों से ज्यादा चमकीला दिखने लगे। सूर्य से निकटम बिंदु बुध ग्रह की कक्षा के भीतर पड़ता है। माना जा रहा है सूर्य की गर्मी इसकी संरचना पर असर डालेगी। यदि, यह बच गया होगा तो आने वाले कुछ दिनों इसका नाभिक बेहद चमकीला हो सकता है। इसको दक्षिणी अक्षांश क्षेत्र से ज्यादा आसानी से देखा जा सकेगा।
प्रोफेसर कपूर ने बताया कि, 14 जनवरी से अगले कुछ दिनों तक शाम में सूर्यास्त से कुछ मिनट बाद पश्चिम में लगभग उसी स्थान पर कुछ देर के लिए क्षितिज से थोड़ी ऊंचाई पर यह नजर आ सकता है। इसकी चमक 14 जनवरी को शुक्र ग्रह से भी ज्यादा हो सकती है। उसके बाद 15 जनवरी को यह शाम में बृहस्पति ग्रह और 16 जनवरी की शाम लुब्धक तारा (सिरियस) के समान चमकीला हो सकता है। दिन-पर दिन इसकी चमक घटती जाएगी। सूर्य के निकट से होकर गुजरते धूमकेतुओं के विषय में निश्चित पूर्वानुमान नहीं दिए जा सकते।
रमेश कपूर ने कहा कि, धूमकेतु सौरमंडल के सदस्य हैं। ये कुछ किलोमीटर आकार के चट्टानी पदार्थ और बर्फीली गैसों के पिंड हैं। इनका पदार्थ सूर्य के निकट पहुंचते-पहुंचते गर्मी के कारण गैस रूप में परिवर्तित होकर पीछे छूटता जाता है और लाखों किमी में फैलकर एक लंबी पूंछ का आकार लेने लगता है। धूमकेतुओं का ऊर्ट बादल 10 हजार से 1 लाख एयू (1 एयू यानी, लगभग 15 करोड़ किमी) के भीतर है। इसमें अरबों धूमकेतु मौजूद हैं।