
Mahakumbh Mela 2025: महाकुंभ 2025 को लेकर साइबर हमलों से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने व्यापक इंतजाम कर लिए है। 13 जनवरी से शुरू होने वाले इस मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए मेला प्रशासन ने तीन स्तरीय व्यवस्था तैयार की है। जनपदीय साइबर सेल, साइबर क्राइम थाना और हेल्पलाइन नंबर 1920 व 1930 के माध्यम से 24x7 निगरानी की जा रही है। यह पहली बार है जब कुंभ में एक साइबर टीम तैनात की गई है। 14-सदस्यीय टीम को निगरानी और साइबर अपराध को सुलझाने का काम सौंपा गया है। साइबर पुलिस स्टेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये अस्थायी पुलिस स्टेशन हैं। मेला समाप्त होने के बाद, हम अपने जिलों के लिए रवाना हो जाएंगे। एक अस्थायी टिन में स्थित साइबर पुलिस स्टेशन में अधिकारियों की एक टीम खोए हुए मोबाइल फोन का पता लगाने में जुटी हुई है। अब तक दर्ज की गई 25 चोरी में से केवल पांच फोन बरामद किए गए हैं।
अधिकारियों का कहना है कि साइबर धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं, टेंट सिटी के नाम पर लोगों को ठगे जाने की खबरें आ रही हैं। जालसाजों ने पीड़ितों को लालच देकर फर्जी बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करवाए हैं, यहां तक कि वरिष्ठ अधिकारी भी इस तरह के घोटाले के शिकार हो रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने जबरन वसूली के एक मामले में गिरफ्तारी की है, लेकिन साइबर धोखाधड़ी बढ़ रही है। अब तक हमारे सामने आठ से अधिक मामले आए हैं।
पहली बार यूपी पुलिस ने नदी के तल पर गश्त करने के लिए उन्नत इमेजिंग क्षमताओं से लैस अंडरवाटर ड्रोन तैनात किए हैं। रिमोट-नियंत्रित लाइफबॉय के साथ ये ड्रोन 24/7 जलीय निगरानी की जा रही हैं। यह कमांड सेंटर को रियल टाइम का डेटा भेजते हैं।
एआई निगरानी प्रणालियों के अलावा सरकार ने एआई-संचालित चैट-बॉट भी लॉन्च किया है, जो 11 से अधिक भाषाओं का समर्थन करता है। नेविगेशन में मदद करने के लिए गूगल मैप्स के साथ काम कर रहे है।
इस डिजिटल परिवर्तन के मूल में यह सुनिश्चित करने का दृढ़ संकल्प है कि कुंभ की विशाल रसद मशीनरी जवाबदेह बनी रहे। अधिकारियों ने मैदान को 10 ज़ोन और 25 सेक्टरों में विभाजित किया है, जिनमें से प्रत्येक को गूगल मैप्स के साथ एकीकृत भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) का उपयोग करके मैप किया गया है।
37,000 से ज़्यादा पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है, जिनमें 1,378 महिला अधिकारी शामिल हैं। ये सभी विशेष साइबर विशेषज्ञों और खुफिया दस्तों के साथ मिलकर काम कर रहे है। आग लगने की स्थिति में आर्टिकुलेटिंग वॉटर टावरों को स्टैंडबाय पर रखा गया है। अधिकारियों का कहना है कि थर्मल इमेजिंग से लैस ये टावर 35 मीटर तक की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं, जो उच्च जोखिम वाली स्थितियों में अग्निशमन कर्मियों के लिए सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं।
Published on:
10 Jan 2025 11:53 am
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