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Modi 3.0: फिच रेटिंगस का अनुमान, मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में बड़े सुधारों को पारित करना होगा चुनौतीपूर्ण

Fitch On Modi 3.0: रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंगस ने कहा कि गठबंधन की राजनीति और कमजोर जनादेश महत्वाकांक्षी सुधारों पर कानून पारित करना चुनौतीपूर्ण बना सकता है। रेटिंग एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7% पर बनी रहेगी।

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Fitch On Modi 3.0: देश में पूर्ण बहुमत के बदले गठबंधन की सरकार बनने से ग्लोबल रेटिंग एजेंसियां भारत में आर्थिक और सामाजिक सुधारों को लेकर सशंकित हैं। भाजपा की अगुवाई वाले राजग ने सरकार गठन की दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है। इस बीच रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंगस ने गुरुवार को कहा कि गठबंधन की राजनीति और कमजोर जनादेश महत्वाकांक्षी सुधारों पर कानून पारित करना चुनौतीपूर्ण बना सकता है। रेटिंग एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7% पर बनी रहेगी। फिच ने कहा, हमें नहीं लगता कि चुनाव में हुए नुकसान से नीतियों में कोई बड़ा बदलाव आएगा। जुलाई में पेश होने वाले पूर्ण बजट से आने वाले पांच वर्षों में आर्थिक सुधार की प्राथमिकताओं और राजकोषीय योजनाओं को लेकर अधिक स्पष्टता मिलेगी।

भूमि और श्रम कानून एजेंडे में रहेंगे

फिच ने कहा, सरकार के पास कम बहुमत होने के बावजूद वित्त वर्ष 2027-28 तक भारत की मध्यम-अवधि वृद्धि हमारे अनुमान 6.2% के आसपास रहेगी। बुनियादी ढांचे पर खर्च, डिजिटलीकरण की पहल और महामारी से पहले की तुलना में बैंक और कंपनियों के बहीखाते में सुधार से निजी निवेश के लिए एक मजबूत दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा। हमारा मानना है कि भूमि और श्रम कानूनों में बड़े सुधार नई सरकार के एजेंडे में बने रहेंगे। लेकिन ये लंबे समय से विवादास्पद रहे हैं और राजग का कमजोर जनादेश इन कानूनों को पारित करना और जटिल कर सकते हैं। रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना बरकरार रहेगी।

मजबूत है भारत की बुनियाद: नोमुरा

वहीं रेटिंग एजेंसी नोमुरा ने कहा, हमारा आकलन है कि भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है। भारत में सुधार आमतौर पर राजनीति की कसौटी पर खरे उतरे हैं और हम उम्मीद करते हैं कि सरकार शासन और प्रशासनिक सुधारों की गति को जारी रखेगी। राज्यों को भूमि और लेबर से जुड़े अधिक कठिन सुधारों पर काम करने की ज्यादा छूट मिलेगी। नोमुरा ने कहा,नई सरकार का पहला 100 दिवसीय एजेंडा डिजिटलाइजेशन, इफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्रियलाइजेशन और शासन-संबंधी सुधारों पर केंद्रित होगा। चुनाव के नतीजों के चलते रेवेन्यू के मुकाबले कैपिटल एक्सपेंडिचर में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

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