नौसेना के लिए समर्पित उपग्रह जीसैट-7 आर को अगले महीने लॉन्च करने की तैयारी चल रही है। यह उपग्रह नौसेना को देश की विशाल समुद्री सीमा की बेहतर निगरानी करने में मदद करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले महीने नौसेना के लिए समर्पित उपग्रह जीसैट-7 आर (सीएमएस-02) लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। यह उपग्रह नौसेना की नेटवर्क आधारित युद्ध क्षमता को मजबूती प्रदान करेगा और देश की विशाल समुद्री सीमा की निगरानी क्षमता में गुणात्मक सुधार लाएगा। इसरो के उच्च पदस्थ अधिकारियों के मुताबिक अगले महीने के दूसरे पखवाड़े में यह मिशन एलवीएम-3 से लॉन्च किए जाने की उम्मीद है।
यह सभी तैयारियां इस मिशन को 19 अक्टूबर को लॉन्च करने के उद्देश्य से की जा रही हैं। इसके लिए 7 अक्टूबर से 5 नवम्बर तक नोटाम ( नोटिस टू एयरमैन) नोटिफिकेशन जारी किया गया है। अत्याधुनिक तकनीक से लैस जीसैट-7 आर पुराने उपग्रह जीसैट-7 (रुक्मिणी) की जगह लेगा, जिसका प्रक्षेपण अगस्त 2013 में किया गया था। जीसैट-7 पिछले लगभग 12 वर्षों से नौसेना का रीढ़ रहा है। यह हिंद महासागर में युद्धपोतों, पनडुब्बियों, नौसेना के विमानों और तट आधारित कमांड केंद्रों के बीच रीयल-टाइम में संचार स्थापित करता रहा है।
जीसैट-7 आर लगभग 2650 किलो वजनी उपग्रह है, जो भू-स्थैतिक कक्षा में ऑपरेशनल होगा। इस उपग्रह को नौसेना की बढ़ती जरूरतों और समुद्री अभियानों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। बहु-बैंड संचार के साथ ही यह बेहतर कवरेज प्रदान करेगा और नौसेना की पहुंच का विस्तार करेगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश को अधिक से अधिक उपग्रहों की जरूरत महसूस हुई है और इस दिशा में प्रयास तेज हो गए हैं। भारत के पास फिलहाल 55 उपग्रह ऑपरेशनल हैं, जिन्हें बढ़ाकर कम से कम तीन गुणा करने की आवश्यकता जताई जा रही है।