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Kurnool bus accident: कैसे लैपटॉप, मोबाइल बने मुसीबत में ‘हथियार’, जिंदा बचे यात्री की मुंहजुबानी कहानी

Kurnool Bus Fire Tragedy: कुरनूल बस हादसे में 19 लोग मारे गए, जबकि कई लोग घायल हो गए। घायलों ने हादसे की मुंहजुबानी कहानी बताई। उन्होंने कहा कि घटना के समय हमें सोचने के लिए 1 सेकेंड भी नहीं मिला। बचने के लिए जो भी कर सकते थे, हमने किया। पढ़ें पूरी खबर...

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Oct 25, 2025
कुरनूल बस हादसा (फोटो-सोशल मीडिया)

Hyderabad Bengaluru Highway bus accident: हैदराबाद से बेंगलुरु जा रही बस 24 अक्टूबर को हादसे का शिकार हो गई थी। इस हादसे में 19 लोग मारे गए, जबकि लोग घायल हो गए। जिंदा बचे लोगों ने रौंगटे खड़े कर देने वाली कहानी सुनाई। उन्होंने कहा कि दिवाली के चलते खुशी से भरे त्योहार वाले वीकेंड ने उस सफर को एक बुरे सपने में बदल दिया। वह उस डरावने मंजर को याद करके अब भी सिहर जाते हैं।

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बाहर निकलने के लिए मोबाइल को बनाया हथियार

जिंदा बचे लोगों ने कहा कि हम हादसे के बाद किसी तरह से बस से बाहर निकलने के लिए कुछ भी करने लगे। कोई अपने हाथों से बस की खिड़कियों के शीशे तोड़ रहा था, तो कोई मोबाइल फोन और अपने लैपटॉप के जरिए शीशों को तोड़कर बाहर निकलने की जद्दोजहद कर रहा था। उन्होंने कहा कि यह पूरा घटनाक्रम कुछ ही सेकेंडों में हुआ।

अंदर सांस लेना भी हो रहा था मुश्किल

दिवाली के मौके पर रिश्तेदारों से मिलने के बाद अपनी पत्नी व 2 बच्चों के साथ बेगलुरु वापस लौट रहे नेलाकुर्थी (36) ने कहा कि हादसे के बाद जब मेरी नींद टूटी तो मुझे सिर्फ आग की लपटें ही दिखाई दे रही थी। तेज पीली और नारंगी आग की लपटें देखते ही देखते तेज होती जा रही थीं। इस कारण सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था। मैंने अपने हाथों से पीछे की खिड़की तोड़ी और परिवार को जलती हुई बस से बाहर निकाला। इसके बाद हम सड़कों पर बस से दूर भागने लगे। हमें कब अस्पताल ले जाया गया, यह याद नहीं। मुझे हॉस्पिटल में होश आया।

बिनाकिसी हिचकिचाहट के सड़क पर कूदे

बहादुरपल्ली के रहने वाले घंटासला सुब्रमण्यम (26) ने कहा कि मेरी नींद साथी यात्री के जोर से हिलाने पर खुली। उन्होंने कहा कि मुझे यह समझने में थोड़ा समय लगा कि आखिर हो क्या रहा है। मैंने अपना बैग उठाया और बस के मेन गेट से निकलने की कोशिश की, लेकिन आग लगने के कारण गेट जाम था। इसके बाद मैंने देखा कि कोई लैपटॉप से खिड़की तोड़ रहा है। मैं और मेरे साथ 10 लोग बिना किसी हिचकिचाहट के सड़क पर कूद गए। उसी रास्ते से गुजर रहे एक कार सवार व्यक्ति ने हमें अस्पताल ले जाने की पेशकश की।

सोचने के लिए हमें एक सेकेंड भी नहीं मिला

विद्यानगर के रहने वाले 27 साल के जयंत कुशवाल ने कहा कि मुझे बस इतना याद है कि लोग पागलों की तरह भागने की कोशिश कर रहे थे। कुछ ने पीछे की खिड़कियां तोड़ दीं, तो कुछ ने अपनी सीटों के पास वाली खिड़कियां तोड़ दीं। चारों तरफ कांच के टुकड़े बिखरे थे। यह बहुत डरावना था।

हयातनगर के 26 साल के नवीन कुमार ने कहा कि सोचने का एक सेकंड भी नहीं मिला, सब कुछ अपने आप हो गया। जब मैंने किसी को पीछे का इमरजेंसी दरवाज़ा तोड़ते देखा, तो मैं उसकी तरफ दौड़ा। इस अफरा-तफरी में, मेरा बायां पैर फ्रैक्चर हो गया। मेरे आस-पास, लोग फंसे हुए थे, भागने की कोशिश कर रहे थे। मैं उनकी मदद नहीं कर सका, और यह बात मुझे परेशान करती है। लेकिन, उन पलों में कोई कुछ नहीं कर सकता था।

Updated on:
25 Oct 2025 07:34 am
Published on:
25 Oct 2025 06:46 am
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