राष्ट्रीय

Apollo अस्पताल गरीबों को मुफ्त में इलाज नहीं दे पा रहा हो तो AIIMS से टेकओवर करने को कह देते हैं : SC

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने अपोलो अस्पताल के पिछले पांच वर्षों के रिकार्ड की जांच करने का आदेश भी दिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अस्पताल लीज डीड की अनिवार्यता को पूरा करते हुए गरीबों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रहा था या नहीं।

2 min read
Mar 27, 2025

Apollo Hospital: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल को सख्त चेतावनी दी है। कोर्ट ने कहा कि अगर अस्पताल अपनी लीज शर्तों के तहत गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज देने में नाकाम रहता है, तो इसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) को सौंप दिया जाएगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने यह सख्त टिप्पणी इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल पर लीज एग्रीमेंट के कथित उल्लंघन के आरोप पर की।

पिछले 5 साल के रिकॉर्ड की जांच करने के दिए आदेश

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अपोलो अस्पताल के पिछले पांच वर्षों के रिकार्ड की जांच करने का आदेश भी दिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अस्पताल लीज डीड की अनिवार्यता को पूरा करते हुए गरीबों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रहा था या नहीं।

लीज समझौते में थी ये शर्त

दरअसल, अस्पताल का निर्माण 15 एकड़ ज़मीन पर किया गया था। अस्पताल के निर्माण के लिए लीज़ समझौते में यह शर्त रखी गई थी कि इसका प्रबंधन गरीबों को सुविधाएँ प्रदान करेगा। वहीं बेंच ने इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

‘AIIMS को सौंपने में संकोच नहीं करेंगे’

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि यदि यह पाया गया कि अस्पताल लीज समझौते का उल्लंघन कर रहा है तो वे अस्पताल को एम्स को सौंपने में संकोच नहीं करेंगे। कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से कहा कि वे इस मामले पर उच्चतम स्तर पर चर्चा करें।

दिल्ली सरकार की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है-वकील

आईएमसीएल के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अस्पताल एक संयुक्त उद्यम के रूप में चल रहा है और दिल्ली सरकार की इसमें 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है तथा उसे भी आय में बराबर का लाभ मिल रहा है। इसके जवाब में जस्टिस सूर्यकांत ने वकील से कहा अगर दिल्ली सरकार गरीब मरीजों की देखभाल करने के बजाय अस्पताल से मुनाफा कमा रही है तो यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात है।

‘एक तिहाई बिस्तरों पर मुफ्त चिकित्सा देनी थी’

दरअसल, अस्पताल को अपनी कुल क्षमता 600 बिस्तरों में से कम से कम एक तिहाई बिस्तरों पर मुफ्त चिकित्सा निदान सुविधाएं और अन्य आवश्यक देखभाल प्रदान करनी थी।

Published on:
27 Mar 2025 02:53 pm
Also Read
View All

अगली खबर