राष्ट्रीय

फेयरवेल स्पीच में CJI गवई कहा, पिता ने पढ़ाया सेक्युलरिज्म का पाठ, महिला जज की नियुक्ती पर बोले- ‘मुझे अफसोस है…’

CJI BR Gavai: भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि वह बौद्ध धर्म को मानते हैं, लेकिन सभी धर्मों का आदर करते हैं। उन्होंने कॉलिजियम, न्यायपालिका और महिला जजों की नियुक्ति पर भी अपनी बात रखी। पढ़ें पूरी खबर...

2 min read
Nov 21, 2025
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई (फोटो- एएनआई)

CJI BR Gavai: भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्णा गवई (BR गवई) 23 नवंबर को रिटायर करने वाले हैं। गुरुवार को फेयरवेल स्पीच के दौरान उन्होंने कहा कि वह भले ही बौद्ध धर्म को मानते हैं, लेकिन वह एक सेक्युलर इंसान हैं जो हिंदू, सिख, इस्लाम और दूसरे धर्मों समेत हर धर्म को मानते हैं। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता की यह पाठ उन्हें उनके पिता ने पढ़ाई। उनके पिता भी धर्मनिरपेक्ष थे और डॉ. भीमराव अंबेडकर के अनुयायी थे।

ये भी पढ़ें

डीपफेक को लेकर CJI का बड़ा बयान, कहा- विशेष कानून की जरूरत, लड़कियों को प्रशिक्षित करने पर दिया जोर

पिता ने सिखाई धर्मनिरपेक्षता

CJI गवई ने कहा कि जब मैं बड़ा हो रहा था तब मेरे पिता राजनीतिक कार्यों के लिए अलग-अलग जगहों पर जाते थे। इस दौरान वह मुझे भी साथ ले जाते थे। इस दौरान पिता के दोस्त कहते थे सर यहां चलो, यहां की दरगाह मशहूर है। यहां का गुरुद्वारा नामी है। मुझे इसी तरह पाला गया है। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।

इस बात है अफसोस

गवई ने अपने फेयरवेल स्पीच में कहा कि उन्हें अफसोस है कि उनके हेड वाला कॉलेजियम भारतीय न्यायपालिका में उनके छह महीने के कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट में एक भी महिला जज की सिफारिश नहीं कर सका, लेकिन जहां तक हाई कोर्ट की बात है, हमने 16 महिला जजों की सिफारिश की थी। उनमें सुप्रीम कोर्ट की महिला वकील भी शामिल हैं। इसलिए मेरे कॉलेजियम ने हमेशा महिला सदस्यों को बड़े पैमाने पर प्रतिनिधित्व देने में विश्वास किया

जो भी हूं न्यायपालिका के वजह से ही हूं

चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि करीब दो दशक तक जज रहने के बाद आज वह जो कुछ भी हैं। वह इस संस्था (न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट) की वजह से हैं। चीफ जस्टिस गवई ने कहा, "मुझे देश में न्यायपालिका का शुक्रिया अदा करना चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि म्युनिसिपल स्कूल में पढ़ने से लेकर देश के सबसे ऊंचे ज्यूडिशियल ऑफिस तक पहुंचने का उनका सफर भारत के संविधान और न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के मूल्यों की वजह से मुमकिन हुआ, जिन्होंने उन्हें हर समय गाइड किया।

चीफ जस्टिस गवई ने इस बात पर भी जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट को कभी भी किसी एक व्यक्ति, जिसमें भारत के चीफ जस्टिस भी शामिल हैं। उसके आस-पास सेंटर नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फैसले पूरी कोर्ट के साथ मिलकर लिए जाने चाहिए और ज्यूडिशियरी का काम सभी स्टेकहोल्डर्स की भागीदारी पर निर्भर करता है। जिसमें जज, बार, रजिस्ट्री और स्टाफ शामिल हैं।

Published on:
21 Nov 2025 08:59 am
Also Read
View All

अगली खबर