Independence Day 2024: भारत में शहीदों का सम्मान कैसे सर्वोपरि है, पंजाब का हुसैनीवाला गांव इस बात का जीवंत उदाहरण है। पाकिस्तान की सीमा से सटे इस फिरोजपुर जिले के इस एक गांव को पाने के लिए भारत ने पाकिस्तान को 12 गांव दिए थे।
Independence Day 2024: भारत में शहीदों का सम्मान कैसे सर्वोपरि है, पंजाब का हुसैनीवाला गांव इस बात का जीवंत उदाहरण है। पाकिस्तान की सीमा से सटे इस फिरोजपुर जिले के इस एक गांव को पाने के लिए भारत ने पाकिस्तान को 12 गांव दिए थे। दरअसल, यह वह जगह है जहां ब्रिटिश सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम की तीन बड़ी हस्तियों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का गुपचुप अंतिम संस्कार किया था। विभाजन के बाद यह गांव पाकिस्तान के पास चला गया। वीरों की इस विरासत को पाकिस्तान से वापस लेने के लिए हुए समझौते के तहत करीब 14 साल बाद फाजिल्का के 12 गांव पाकिस्तान को दिए गए थे।
जब तक हुसैनीवाला गांव पड़ोसी मुल्क के कब्जे में था, पाक सरकार ने कभी इन वीरों के लिए कोई स्मारक बनवाने की जहमत तक नहीं की। वर्ष 1962 में भारत सरकार ने तय किया कि वो हुसैनीवाला गांव को लेंगे, पाकिस्तान ने बदले में फाजिल्का जिले के 12 गांव मांग लिए। भारत ने फाजिल्का की सैन्य रूप से महत्त्वपूर्ण रणनीतिक स्थिति की परवाह नहीं करते हुए 12 गांव देकर हुसैनीवाला ले लिया। सतलज नदी के तट पर 1968 में हुसैनीवाला राष्ट्रीय शहीद स्मारक की स्थापना की। स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त की समाधि भी इसी गांव में मौजूद है। हुसैनीवाला बार्डर पर अटारी-वाघा बार्डर की तर्ज पर रिट्रीट सेरेमनी का भी आयोजन किया जाता है।