Independence Day 2025: 1947 तक ब्रिटिश सरकार ने भारत को स्वतंत्रता देने का फैसला कर लिया था। ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया, जिसमें भारत को दो स्वतंत्र देशों भारत और पाकिस्तान में बांटने का प्रावधान था।
Independence Day 2025: भारत हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है, जिस दिन देश ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी हासिल की थी। यह दिन न केवल राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है, बल्कि उन लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों और संघर्षों का सम्मान भी है, जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर 15 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे की वजह ऐतिहासिक और राजनीतिक घटनाओं से जुड़ी है, जो उस समय की परिस्थितियों को दर्शाती है।
भारत में ब्रिटिश शासन की शुरुआत 1757 में प्लासी की लड़ाई के बाद हुई थी, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश पर अपना नियंत्रण शुरू किया। लगभग दो सदी तक चले इस शासन के खिलाफ भारतीयों ने कई आंदोलन चलाए, जिनमें 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण पड़ाव शामिल हैं। इन आंदोलनों ने ब्रिटिश सरकार पर दबाव बढ़ाया और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की आर्थिक और सैन्य स्थिति कमजोर होने से भारत में उनका शासन बनाए रखना मुश्किल हो गया।
दूसरे विश्व युद्ध के समय ब्रिटेन की आर्थिक व्यवस्था को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए भारत में उपनिवेशवाद बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गया। साल 1946 में ब्रिटिश संसद ने निणर्य लिया कि 30 जून 1948 तक भारत को आजाद कर दिया जाएगा। इसके लिए लॉर्ड माउंटबेटन को भारत में अंतिम वायसरॉय नियुक्त किया गया था। लेकिन स्वतंत्रता सेनानी 1948 तक इंतजार करने के पक्ष में नहीं थे। देश की जनता में असंतोष और हिंसा की आशंका को देखते हुए माउंटबेटन ने फैसला किया कि सत्ता हस्तांतरण 15 अगस्त 1947 को कर दिया जाए।
1947 तक ब्रिटिश सरकार ने भारत को स्वतंत्रता देने का फैसला कर लिया था। ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया, जिसमें भारत को दो स्वतंत्र देशों भारत और पाकिस्तान में बांटने का प्रावधान था। इस अधिनियम के तहत 15 अगस्त 1947 को भारत को औपचारिक रूप से स्वतंत्रता मिली। लेकिन 15 अगस्त की तारीख का चयन क्यों हुआ? इसके पीछे की वजह ब्रिटिश सरकार की प्रशासनिक और राजनीतिक रणनीति थी।
लॉर्ड माउंटबेटन, जो उस समय भारत के अंतिम वायसराय थे, ने 15 अगस्त की तारीख को इसलिए चुना क्योंकि यह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी। 14 अगस्त 1945 को जापान ने मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण किया था और माउंटबेटन ने इस तारीख को प्रतीकात्मक महत्व देते हुए भारत की स्वतंत्रता के लिए इसे उपयुक्त माना। इसके अलावा, ब्रिटिश सरकार जल्द से जल्द भारत से अपना शासन समेटना चाहती थी और 15 अगस्त की तारीख प्रशासनिक तैयारियों के लिए उपयुक्त थी।
14 अगस्त 1947 की रात को नई दिल्ली में संविधान सभा की विशेष बैठक हुई, जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने ऐतिहासिक भाषण "ट्रिस्ट विद डेस्टिनी" में भारत की आजादी की घोषणा की। ठीक आधी रात को, 15 अगस्त 1947 को भारत औपचारिक रूप से आजाद हुआ। इस समय दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा फहराया गया और नेहरू ने देश को संबोधित करते हुए आजादी के सपनों को साकार करने का आह्वान किया।
15 अगस्त का दिन केवल एक तारीख नहीं, बल्कि भारत के नवनिर्माण और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह दिन हमें उन स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाता है, जिनमें भगत सिंह, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई जैसे नायकों ने अपने बलिदान दिए। यह दिन देशवासियों को एकजुटता, समानता और प्रगति की भावना से जोड़ता है।
हर साल 15 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। लाल किले से प्रधानमंत्री का देश के नाम संबोधन, तिरंगा फहराना, परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम इस दिन की विशेषता हैं। यह दिन न केवल आजादी की खुशी मनाने का अवसर है, बल्कि देश के सामने मौजूद चुनौतियों और भविष्य की जिम्मेदारियों पर विचार करने का भी समय है।
15 अगस्त 1947 को भारत ने लंबे संघर्ष के बाद आजादी हासिल की और यह तारीख ब्रिटिश सरकार की रणनीति और ऐतिहासिक संयोग का परिणाम थी। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का प्रतीक है। स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि आजादी की कीमत अनमोल है और इसे बनाए रखने के लिए हमें निरंतर प्रयास करने होंगे।