Tri Services Meeting: आपसी समन्वय बेहतर बनाने के लिए शुक्रवार को तीनों सेनाओं नेवी (Indian Navy), एयर फोर्स (Air Force) और आर्मी (Army) के अधिकारियों ने एक ऐतिहासिक साझा मुलाकात कर मीटिंग की।
Armed Force Meeting: आपसी समन्वय बेहतर बनाने के लिए शुक्रवार को तीनों सेनाओं नेवी (Indian Navy), एयर फोर्स (Air Force) और आर्मी (Army) के अधिकारियों ने एक ऐतिहासिक साझा मुलाकात की। तीनों सेनाओं में समन्वय के लिए तीनों सेनाओं के अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारी लगातार विभिन्न मंचों के माध्यम से मुलाकात करते आ रहे हैं। खास बात यह है कि अब इस सिलसिले को और आगे बढ़ाते हुए निचले स्तर पर तीनों सेनाओं के नॉन कमीशंड ऑफिसर आपस में मुलाकात कर रहे हैं। इससे नेवी, आर्मी और एयरफोर्स ग्राउंड पर एक साथ काम करने के लिए तैयार हो सकेंगे। इस मुलाकात के दौरान अग्निवीरों (Agniveers) की छुट्टी और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे विषयों पर चर्चा की गई। यह मुलाकात सेना के सूबेदार मेजर और एयर फोर्स एवं नेवी में उनके समकक्ष अधिकारियों के बीच हुई।
तीनों सशस्त्र बलों की बैठक सेना के सूबेदार मेजर गोपा कुमार, वायुसेना के मास्टर वारंट ऑफिसर पीके यादव और नौसेना के मास्टर चीफ पेटी ऑफिसर प्रथम श्रेणी दिल बहादुर छेत्री के बीच हुई। भारतीय सेना का कहना है कि इससे तीनों सेनाओं के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा मिला। इस मुलाकात के दौरान आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के अधिकारियों ने सैनिकों के कल्याण से संबंधित हित के सामान्य मुद्दों पर बातचीत की। इसके अलावा तीनों सशस्त्र सेवाओं में सभी रैंकों को प्रभावित करने वाली चिंताओं को दूर करने के तरीकों पर भी चर्चा की गई।
मुख्य चर्चाएं अग्निवीरों की छुट्टी के प्रावधानों, ECHS प्रतिक्रिया को सुव्यवस्थित करने के तरीकों, नई नीतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उपायों पर केंद्रित रहीं। साथ ही साथ रक्षा यात्रा प्रणाली DTS का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के तरीकों पर भी बैठक में चर्चा हुई। उन्होंने तीनों सेनाओं के भीतर सर्वोत्तम प्रथाओं और सैनिकों और परिवारों के कल्याण के लिए उन्हें अपनी-अपनी सेवा में शामिल करने के उपायों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। जो मुद्दे सामने आए हैं, उन्हें शीघ्र समाधान के लिए सेवाओं के भीतर संबंधित निदेशालयों और शाखाओं द्वारा संबोधित किया जाएगा। सेना का कहना है कि यह बैठक भारतीय सशस्त्र बलों के भीतर संयुक्तता और एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए चल रही प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। इससे राष्ट्र के भीतर एक मजबूत, अधिक एकजुट रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का मार्ग प्रशस्त होता है।