Indian Railways Fact: रेलवे स्टेशन के नाम में ‘जंक्शन’, ‘सेंट्रल’ और ‘टर्मिनल’ सिर्फ शब्द नहीं है लेकिन इनका असली मतलब क्या है आज हम आपको बताते हैं।
Indian Railways: ट्रेन यात्रा करने वाले हर शख्स ने कभी न कभी रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर ‘जंक्शन’, ‘सेंट्रल’ या ‘टर्मिनल’ जैसे शब्द जरूर देखे होंगे। जैसे मथुरा जंक्शन, मुंबई सेंट्रल या छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये शब्द क्यों लगाए जाते हैं? ये कोई सजावट नहीं, बल्कि स्टेशन की संरचना, महत्व और रेलवे रूट से जुड़ी खास जानकारी देते हैं। भारतीय रेलवे ने स्टेशनों को इसी आधार पर कैटेगरी में बांटा है, जो ट्रेनों के संचालन को आसान बनाता है। आइए जानते हैं इनका असली मतलब।
अगर किसी स्टेशन से कम से कम 3 अलग-अलग रेलवे रूट निकलते हैं या जुड़ते हैं, तो उसे जंक्शन कहा जाता है। यहां ट्रेनें कई दिशाओं से आती-जाती हैं और यात्री आसानी से दूसरी ट्रेन बदल सकते हैं। जैसे मथुरा जंक्शन (7 रूटों वाला सबसे बड़ा जंक्शन), विजयवाड़ा जंक्शन, इटारसी जंक्शन, पटना जंक्शन। आपको बता दें की यहां ट्रेन आने के बाद कम से कम दो अलग दिशाओं में आगे जा सकती है, इसलिए ये स्टेशन रेल नेटवर्क के ‘क्रॉसरोड’ जैसे होते हैं।
सेंट्रल स्टेशन शहर का सबसे पुराना, सबसे व्यस्त और सबसे महत्वपूर्ण स्टेशन होता है। ये आमतौर पर शहर के केंद्र में स्थित होते हैं और यहां से देश के लगभग हर रूट की ट्रेनें चलती हैं। भारत में सिर्फ 5 ही सेंट्रल स्टेशन हैं। जैसे मुंबई सेंट्रल, चेन्नई सेंट्रल, कानपुर सेंट्रल, मंगलोर सेंट्रल, त्रिवेंद्रम सेंट्रल। ये स्टेशन ब्रिटिश काल से चले आ रहे हैं।
यहां रेलवे ट्रैक खत्म हो जाता है, यानी ट्रेन एक ही दिशा से आती है और उसी दिशा में वापस जाती है। आगे कोई रूट नहीं होता। जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (मुंबई), लोकमान्य तिलक टर्मिनस, आनंद विहार टर्मिनल (दिल्ली), बांद्रा टर्मिनस।
भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है और ऐसे नामकरण से ट्रेनों का मैनेजमेंट आसान हो जाता है।