विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि नेहरू विकास मॉडल से नेहरू विदेश नीति का निर्माण होता है। उन्होंने यह भी बताया कि रूस और चीन ने आर्थिक मान्यताओं को अस्वीकार कर दिया है।
विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर (S. Jaishankar) नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया (Arvind Panagariya) की पुस्तक ‘द नेहरू डेवलपमेंट मॉडल’ के विमोचन के मौके पर शामिल हुए। जयशंकर ने कहा, ‘नेहरू विकास मॉडल’ से अनिवार्य रूप से ‘नेहरू विदेश नीति’ पैदा होती है और 'हम विदेशों में इसे सुधारना चाहते हैं, ठीक उसी तरह जैसे घरेलू स्तर पर इस मॉडल के नतीजों को सुधारने की कोशिश की जा रही है।
जयशंकर ने कहा कि रूस और चीन दोनों ने आज उस समय के आर्थिक विचारों को स्पष्ट रूप से नकार दिया है। जिन्हें नेहरू ने बढ़ावा दिया था। ये विचार आज भी हमारे देश के प्रभावशाली वर्गों में जीवित हैं। उन्होंने कहा 2014 के बाद दिशा को सही करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह एक कठिन काम है।
जयशंकर ने अमेरिकी नीति निर्माता जॉन फोस्टर डलेस का 1947 के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि वे समय की सरकार को वह अधिक गलत नहीं कर सकते थे, लेकिन यह एक दावा था जिसे दशकों तक अमेरिकी नीति निर्माताओं ने सही माना। उन्होंने कहा कि मैंने कई बार खुद से पूछा कि क्या डलेस पूरी तरह से गलत थे। पनगढ़िया की किताब में उन्हें इसका उत्तर मिला।
जयशंकर ने कहा कि पिछले 33 वर्षों में भारत ने खुलेपन से फायदा उठाया है, लेकिन आज की स्थिति पहले से कहीं अधिक जटिल है। उन्होंने कहा कि सावधानी से खुलापन एक अच्छा तरीका हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने आत्मनिर्भरता पर कहा कि इसे संरक्षणवाद के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और खुद से सोचने और काम करने का आह्वान है।