जस्टिस सूर्यकांत आज 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर शपथ लेंगे। जाते-जाते गवई उन्हें बड़ा टास्क दे गए हैं।
जस्टिस सूर्यकांत आज देश का सबसे बड़ा न्यायिक पद संभालने जा रहे हैं। वह सोमवार को 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर शपथ लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जस्टिस कांत को पद की शपथ दिलाएंगी।
सूर्यकांत मौजूदा चीफ जस्टिस भूषण आर गवई की जगह लेंगे। राष्ट्रपति ने गवई की सिफारिश के बाद जस्टिस सूर्यकांत को भारत का अगला चीफ जस्टिस नियुक्त किया है। जस्टिस गवई ने रविवार को चीफ जस्टिस का पद छोड़ दिया है।
जस्टिस सूर्यकांत मूल से हरियाणा के रहने वाले हैं। उनका जन्म 10 फरवरी, 1962 को हुआ था। वे हरियाणा के हिसार जिले से आते हैं। उन्होंने हिसार से ही 1884 में कानूनी यात्रा शुरू की थी। इसके बाद वे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए चंडीगढ़ चले गए।
वह हरियाणा के पहले व्यक्ति हैं, जो चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेंगे। उधर, गवई ने जाते-जाते सूर्यकांत को नया टास्क दे दिया है।
गवई ने रविवार को बताया कि एक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने चेन्नई के नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के एक ज्यूडिशियल मेंबर को एक कॉर्पोरेट एंटिटी के लिए फेवरेबल ऑर्डर दिलाने के लिए प्रभावित करने की कोशिश की थी। वह अपने रिटायरमेंट और दूसरे कारणों से इन-हाउस जांच से बाल-बाल बच गए।
गवई ने कहा कि उन्होंने NCLAT के ज्यूडिशियल मेंबर जस्टिस शरद कुमार शर्मा से एक रिपोर्ट मांगी थी, जिन्होंने 13 अगस्त को ओपन कोर्ट में बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने कहा था- अदालत के सबसे सम्मानित मेंबर्स में से एक ने फेवरेबल ऑर्डर पास करने के लिए उनसे संपर्क किया था।
गवई ने यह भी बताया कि दबाव बनाने की वजह से जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने उस मुकदमे से खुद को अलग कर लिया था। जज शर्मा ने इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट भी भेजी थी, लेकिन जिस हाई कोर्ट चीफ जस्टिस की बात हो रही है, वह रिटायर हो चुके थे। इसलिए उनके खिलाफ औपचारिक आंतरिक जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता था।
गवई ने कहा कि भविष्य में ऐसी कोशिशों को रोकने के लिए अपनाए जाने वाले प्रोसेस या तरीके पर अपने साथियों के बीच बातचीत शुरू करने के तुरंत बाद, राष्ट्रपति ने जस्टिस सूर्यकांत को चीफ जस्टिस के पद पर अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। उन्होंने कहा- इसलिए मैंने सोचा कि इस मुद्दे पर सही कार्रवाई करने का काम नए चीफ जस्टिस पर छोड़ देना बेहतर होगा।