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जस्टिस यशवंत वर्मा नकदी मामला: RTI के तहत जांच रिपोर्ट नहीं होगी सार्वजनिक, SC ने दिया आदेश

Justice Verma: CPIO ने सुप्रीम कोर्ट बनाम सुभाष चंद्र अग्रवाल मामले का हवाला देते हुए कहा कि यह सूचना RTI के तहत प्रदान नहीं की जा सकती, क्योंकि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निजता के अधिकार और गोपनीयता से संबंधित है।

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May 26, 2025
जस्टिस यशवंत वर्मा (Photo- X @MumbaichaDon)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर नकदी मिलने के मामले में गठित इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट को सूचना के अधिकार (RTI) के तहत सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (CPIO) ने अमृतपाल सिंह खालसा के RTI आवेदन को खारिज करते हुए लिया, जिसमें जांच रिपोर्ट और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना द्वारा राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र की प्रति मांगी गई थी।

RTI के तहत नहीं दी जा सकती जानकारी

CPIO ने सुप्रीम कोर्ट बनाम सुभाष चंद्र अग्रवाल मामले का हवाला देते हुए कहा कि यह सूचना RTI के तहत प्रदान नहीं की जा सकती, क्योंकि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निजता के अधिकार और गोपनीयता से संबंधित है। दरअसल, यह RTI आवेदन 9 मई को दायर किया गया था। 

CJI को 4 मई को सौंपी थी रिपोर्ट

हालांकि, जस्टिस यशवंत वर्मा की प्रारंभिक रिपोर्ट, जस्टिस वर्मा का जवाब और दिल्ली पुलिस द्वारा लिए गए फोटो व वीडियो को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया गया है, लेकिन अंतिम जांच रिपोर्ट गोपनीय रखी गई है। जांच समिति, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस सिधरावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे, ने 4 मई 2025 को अपनी रिपोर्ट CJI को सौंपी थी।

RTI कार्यकर्ता ने मांगी थी जांच रिपोर्ट

जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर नकदी मिलने के मामले में RTI कार्यकर्ता ने जांच रिपोर्ट और संबंधित पत्राचार की कॉपी मांगी थी। लेकिन SC ने इसे खारिज कर दिया। इस फैसले ने एक बार फिर से यह मामला सुर्खियों में ला दिया है।

जस्टिस वर्मा ने बताया था साजिश

यह मामला 14 मार्च 2025 को शुरू हुआ, जब जस्टिस वर्मा के आवास के आउटहाउस में आग लगी और दमकलकर्मियों ने वहां बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी देखी। जस्टिस वर्मा ने आरोपों से इनकार किया और इसे साजिश बताया। उनके खिलाफ कोई आपराधिक FIR दर्ज नहीं हुई है, क्योंकि इसके लिए CJI और राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक है। विवाद के बाद, जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया गया और उनके न्यायिक कार्य वापस ले लिए गए।

Published on:
26 May 2025 04:05 pm
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