यतीन्द्र सिद्धारमैया ने आरएसएस की तुलना तालिबान से करते हुए कहा कि, संघ हिंदू धर्म की कट्टर विचारधारा को समाज पर थोपना चाहता है। यतीन्द्र ने संघ पर रोक लगाने की बात कहते हुए आरएसएस को रजिस्टर करने की भी मांग की।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे यतीन्द्र सिद्धारमैया ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को लेकर विवादित टिप्पणी करते हुए उसकी तुलना तालिबान से कर दी है। आरएसएस सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का वैचारिक मार्गदर्शक है। जबकि तालिबान एक सशस्त्र इस्लामी समूह है जिसने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर दोबारा कब्ज़ा करके वहां शासन शुरु कर दिया था।
यतीन्द्र ने सोमवार को इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि, आरएसएस की सोच तालिबान जैसी है। जिस तरह तालिबान संगठन इस्लाम के कुछ कट्टर और बुनियादी विचारों को ज़बरदस्ती लागू करना चाहता है, उसी तरह आरएसएस भी हिंदू धर्म की कट्टर विचारधारा को समाज पर थोपना चाहता है। उन्होंने आगे कहा, तालिबान जैसे मानता है कि एक धर्म एक ही तरीके से चल सकता है और उसे लागू करने के लिए फरमान जारी करता है, वैसे ही आरएसएस का मानना है कि हिंदू धर्म एक ही तरीके से चल सकता है।
यतीन्द्र ने संघ और उसकी गतिविधियों पर कुछ रोक लगाने की भी मांग की। उन्होंने आरएसएस को रजिस्टर करने की भी मांग करते हुए कहा कि, रजिस्टर नहीं होने के चलते संघ को कुछ नियमों और कानूनी औपचारिकताओं से छूट मिल जाती है। यतीन्द्र ने कहा, आरएसएस खुद को एक बहुत बड़ा संगठन बताता है। दिल्ली में उनकी एक बिल्डिंग है जिसके पास हज़ारों करोड़ रुपये (फंड) हैं, इसके बावजूद, वह रजिस्टर्ड नहीं है। यतीन्द्र ने आगे कहा, यह एक प्रभावशाली संगठन है और इन्हें कानून के हिसाब से काम करना चाहिए। अगर वे बिना रजिस्ट्रेशन के काम कर रहे हैं तो मेरे हिसाब से यह ग़लत है।
यतीन्द्र ने यह बयान ऐसे समय में दिया है, जब तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत में एक राजकीय दौरे पर हैं। संघ की इस बयान को लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। वहीं बात की जाए बीजेपी की तो पार्टी पहले ही यह साफ कर चुकी है कि कोई भी RSS पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता या उसे रोक नहीं सकता है। कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष, बीवाई विजयेंद्र ने भी एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए संघ की सराहना की है। उन्होंने लिखा, संघ की राष्ट्रवाद और सामाजिक सुधार की विचारधारा हमेशा राष्ट्र-विरोधी कांग्रेस पर भारी पड़ेगी।