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चाचा महीनों से कर रहा था ज्यादती, माँ ने नदी में फेंका- नाबालिग बच्ची की दर्द भरी कहानी

Kerala Child Murder Case: केरल में एक मां ने अपनी मासूम बेटी को नदी में फेंक दिया, जबकि पोस्टमार्टम में सामने आया कि बच्ची का लंबे समय से यौन शोषण किया जा रहा था।

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May 22, 2025
केरल में एक माँ ने बच्ची को नदी में फेंक कर उसकी हत्या कर दी।( सांकेतिक फोटो:ANI)

Kerala Child Murder Case: केरल (KeralaCrime) के एर्नाकुलम ज़िले से एक बहुत दर्दनाक घटना सामने आई है, जहाँ एक 3 वर्षीय बच्ची को उसकी ही मां ने नदी में फेंक दिया ,जिससे उसकी मौत (Kerala Child Murder)हो गई । जांच में यह भी तथ्य सामने आया कि उसका कई महीनों से यौन शोषण हो रहा था। पुलिस ने इस मामले में बच्ची की मां और मामा को हिरासत में लिया है। पुलिस के मुताबिक, महिला ने पहले अपनी बेटी के गुम होने की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि उसने आंगनवाड़ी से लौटते समय बेटी को नदी में फेंका था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि बच्ची के साथ लंबे समय तक दुर्व्यवहार (POCSO Case) हुआ।

माँ ने बस से बच्ची के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी

पुलिस के अनुसार, बच्ची की माँ, 35 वर्षीय महिला को मंगलवार को उस समय गिरफ़्तार कर लिया गया था, जब उसने स्थानीय आंगनवाड़ी से अपने घर जा रही बस से बच्ची के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। गिरफ़्तारी के बाद, उसने कथित तौर पर पुलिस के सामने अपना अपराध कुबूल किया। इसके बाद पुलिस ने बच्ची का शव बरामद किया।

बच्ची के साथ कथित तौर पर काफी समय से यौन शोषण किया जा रहा था

पुलिस के मुताबिक शव के पोस्टमार्टम से पता चला है कि बच्ची के साथ कथित तौर पर काफी समय से यौन शोषण किया जा रहा था। यह अभी तक बात साफ नहीं है कि मां को इस कथित दुर्व्यवहार के बारे में पता था या नहीं।एर्नाकुलम (ग्रामीण) की पुलिस अधीक्षक एम हेमलता ने बताया, "हमने रिपोर्ट पर कार्रवाई की है और इसके आधार पर पोक्सो के तहत मामला दर्ज किया गया है।"

बच्चों के अधिकारों के प्रति बड़ों की ज़िम्मेदारी, जागरूकता की आवश्यकता

इस हृदय विदारक मामले पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री केके शैलजा ने फेसबुक पर एक पोस्ट के ज़रिए इस घटना की निंदा की । उन्होंने पोस्ट में कहा, "जब हमारे परिवार बंद निजी स्थानों में बदल जाते हैं, जहाँ परिवार के सदस्य बिना किसी सामाजिक प्रतिबद्धता के रहते हैं, तो हमारे बच्चों को अत्यधिक क्रूरता का सामना करना पड़ता है। हमें बच्चों के अधिकारों और उनके प्रति बड़ों की ज़िम्मेदारी के बारे में जागरूकता की आवश्यकता है। पूरे समाज को इस तरह के व्यवहार संबंधी विकारों के खिलाफ़ खड़ा होना चाहिए।"

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