Pending Cases in India: राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड ने जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वकीलों की कमी से अदालतों में 66 लाख से ज्यादा केस लंबित हैं।
Pending Cases in Courts: वकीलों की कमी के कारण देशभर की जिला अदालतों में 66,59,565 मामले लंबित हैं। इनमें 5.1 लाख से अधिक आपराधिक मामले हैं। राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) ने 14 सितंबर, 2024 तक जिला अदालतों में लंबित मामलों को लेकर यह जानकारी दी। NJDG के मुताबिक वकीलों की कमी के अलावा बार-बार अपील, डिक्री के निष्पादन, केस रेकॉर्ड की अनुपलब्धता के कारण भी कई मामले लंंबित हैं। मुकदमों में देरी के कारण कई बार पक्षकार भी परेशान हो जाते हैं। पक्षकारों की रुचि नहीं होने के कारण आठ लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं। अदालतों में 99,038 मामले तीस साल से अधिक समय से चल रहे हैं। एनजेडीजी जिला अदालतों में लंबित मामलों का कारण जानने का प्रयास करता है।
38,32,419….आरोपी फरार
28,98,539…गवाह के कारण देरी
24,97,401 ….विभिन्न कारणों से देरी
15,74,807…दस्तावेजों का इंतजार
8,65,311…पक्षकारों की रुचि नहीं
4,75,543…लगातार अपील
1,68,160..विधिक उत्तराधिकारी रिकॉर्ड पर नहीं
1,25,267…अन्य कारण
87,679…कई गवाह
74,871…हाईकोर्ट की रोक
63,326…डिक्री का निष्पादन
32,300…दस्तावेज अनुपलब्ध
7,641….जिला अदालत की रोक
1,316…सुप्रीम कोर्ट की रोक
0 से 1 साल 1,68,85,857
1 से 3 साल 1,04,03,112
3 से 5 साल 62,04,960
5 से 10 साल 77,14,052
10 से 20 साल 35,95,924
20 से 30 साल 5,30,443
30 से अधिक 99,038
0 से 1 साल 15,08,379
1 से 3 साल 9,50,287
3 से 5 साल 7,78,035
5 से 10 साल 14,04,374
10 से 20 साल 10,76,085
20 से 30 साल 2,67,796
30 से अधिक 76,708
सुप्रीम कोर्ट में 67,390 मामले लंबित हैं। इनमें मात्र 21 मामले 30 साल से अधिक पुराने हैं।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की अदालतों में लंबित मामलों पर चिंता जताते हुए कहा था कि जब तक वकील मामलों के निपटाने में सहयोग नहीं करेंगे, लंबित मामले कम नहीं किए जा सकते। बार के सदस्यों के सहयोग से ही न्यायालयों का काम कम किया जा सकता है। ट्रायल के दौरान बार के सदस्यों से न्यायालय के अधिकारी के रूप में काम की अपेक्षा की जाती है।
कुछ साल पहले जस्टिस एम.आर. शाह ने खुलासा किया था कि मुकदमों की पैरवी के लिए वकीलों की अनुपलब्धता सुप्रीम कोर्ट के सामने भी मुद्दा है।लंबित मामलों का एक कारण स्थगन भी है। आपराधिक मामलों में रोज 5 से 6 मामलों में स्थगन-पत्र दिए जाते हैं, जिनमें व्यक्तिगत कठिनाई का हवाला दिया जाता है।