सोशल मीडिया पर एक किराएदार की परेशानी वायरल हो रही है। उसने बताया, 2 साल के किराए के बाद मकान मालिक ने 44 हजार के डिपॉजिट में से 31 हजार काट लिए।
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट काफी चर्चा में है। जिसमें एक किराएदार ने अपनी ऐसी परेशानी सबसे साथ साझा की है, जिसे आम तौर पर कोई भी व्यक्ति अनुभव कर सकता है। उसने बताया कि कैसे उसके मकान मालिक ने डिपॉजिट मनी का बड़ा हिस्सा काट लिया है।
किराएदार ने अपने पोस्ट में बताया कि वह दो साल तक किराए के घर में रहा। इसके बाद, उसके मकान मालिक ने 44 हजार के डिपॉजिट में से 31 हजार रुपये रोक लिए हैं। मकान मालिक ने यह कहकर पैसे काट लिए कि रहने वालों ने उसकी प्रॉपर्टी को बर्बाद कर दिया।
रेडिट पोस्ट में किराएदार ने लिखा- मकान मालिक ने अपना घर बेच दिया है और अब वह हमारे 44 हजार डिपॉजिट में से 31 हजार रुपये काट रहा है। वह यह कह रहा है कि तुमने हमारी जगह बर्बाद कर दी है, उसे डैमेज कर दिया है। जो सच नहीं है। जाहिर है, समय के साथ मकान और कमरे का रंग फीका पड़ जाता है। हम यहां 2 साल से रह रहे हैं। हमारे पास क्या ऑप्शन हैं?
पोस्ट के टाइटल में यूजर ने लिखा है- मकान मालिक लगभग सारा डिपॉज़िट काट रहा है, मेरे पास क्या ऑप्शन हैं? प्लीज हेल्प करें। इस पोस्ट पर कई लोगों ने शख्स को अहम सुझाव दिए हैं।
कुछ लोगों ने किराएदार से कानूनी कदम उठाने की सलाह दी है। एक कमेंट करने वाले ने सलाह दी- जितना अमाउंट आपको अपने डिपॉजिट से वापस नहीं मिला, उतने ही रिपेयर बिल मांगें। उन बिलों को क्रॉस वेरिफाई करवाएं और अगर मकान मालिक नकली बिल देता है तो धोखाधड़ी के लिए प्राथमिकी दर्ज करें।
एक और यूजर ने कहा- जाओ लोकल स्टेशन पर पुलिस कंप्लेंट करो। पुलिस का एक फोन कॉल या विजिट उसे सीधा कर देगा। वहीं, एक अन्य यूजर ने खुद को वकील बताया, उसने भी अहम सलाह दी।
उन्होंने कहा- मैं वकील हूं। अगर आपका मकान मालिक गलत तरीके से आपका सिक्योरिटी डिपॉजिट रोक रहा है, तो आप नुकसान का एक डिटेल्ड, आइटम वाला बिल मांग सकते हैं, जिसमें रसीदें या अनुमान हों, क्योंकि किराएदार सिर्फ नॉर्मल टूट-फूट से ज्यादा नुकसान के लिए जिम्मेदार होते हैं।
ईमेल या लीगल नोटिस के जरिए एक फॉर्मल डिमांड भेजें, जिसमें कटौती पर सवाल उठाया जाए और सही समय पर पूरा रिफंड मांगा जाए। अपने दावे को सपोर्ट करने के लिए प्रॉपर्टी खाली करते समय फोटो या वीडियो जैसे डॉक्यूमेंट रखें। अगर मकान मालिक डिपॉजिट वापस करने से मना करता है, तो आप मामले को सिविल कोर्ट में ले जा सकते हैं।