राष्ट्रीय

MiG-21…जब पाकिस्तानी जेट्स का अकेले किया था काम तमाम

Mig 21 की विदाई से एक महीने पहले पूर्व एयर मार्शल पीएस बरार ने अपने अनुभव साझा किए हैं।

3 min read
Aug 19, 2025
लड़ाकू विमान मिग-21 की विदाई (फोटो सोर्स : ANI)

19 सितंबर 2025 को भारतीय वायुसेना (IAF) का एक स्वर्णिम अध्याय खत्म हो जाएगा, जब भारतीय वायुसेना का सबसे भरोसेमंद और बहादुर फाइटर जेट MiG-21 अब आधिकारिक रूप से रिटायर हो जाएगा। चंडीगढ़ एयरबेस से यह ‘फ्लाइंग कॉफिन’ आखिरी बार आकाश में गरजेगा। पूर्व एयर मार्शल पीएस बरार के मुताबिक MiG-21 ने 62 साल तक भारतीय वायु सेना की सेवा की और कई बड़ी लड़ाई में दुश्मनों के छक्के छुड़ाए।

एक MiG-21 ने 4 अमेरिकी जेट को मात दी

दिसंबर 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई के दौरान स्क्वाड्रन लीडर (बाद में एयर मार्शल) पीएस बरार अपने MiG-21 से अमृतसर से उड़ान भरकर पाकिस्तान के रफीकी एयरबेस पर हमला करने गए थे। जब उन्होंने 500 किलो के बम गिराकर वापसी की, तो देखा कि 4 अमेरिकी F-86 Sabre Jet उनका पीछा कर रहे हैं। उस पल लगा आसमान में बाजी दुश्मन के हाथ में है। लेकिन बरार ने MiG-21 की रफ्तार और फुर्ती का ऐसा इस्तेमाल किया कि चारों दुश्मन जेट का काम तमाम कर दिया। उन्होंने भारत में सुरक्षित लैंडिंग की।

Flying Coffin क्यों पड़ा नाम

MiG-21 को अक्सर Flying Coffin (उड़ता ताबूत) कहा जाता था। कारण था, इसकी पुरानी टेक्नोलॉजी और दुश्मन जहाजों को मार गिराने का रिकॉर्ड। लेकिन जो पायलट इस पर उड़ान भरते थे, उनके लिए यह उनकी जान से बढ़कर था।

"MiG-21 से कभी निराश नहीं हुआ। यह सिर्फ जेट नहीं था, यह हमारा दोस्त और भरोसेमंद साथी था। जब भी ऑपरेशन पर निकले, MiG-21 ने हमेशा दुश्मन का दिल दहला दिया।"

पीएस बरार, पूर्व एयर मार्शल

MiG 21 नाम कहां से पड़ा

MiG 21 नाम जेट बनाने वाले Mikoyan Gurevich डिजाइन ब्यूरो से लिया गया है। 21 नंबर विमान के डिजाइन श्रृंखला में इसके सीरीयल को दर्शाती है। इस ब्यूरो में कई अत्याधुनिक जेट तैयार किए जा चुके हैं।

एक मिसाइल से तेज भागने वाला

MiG-21 जब 1963 में भारत आया तो यह वायुसेना का पहला सुपरसोनिक जेट था। इसकी खूबियां इसे खास बनाती थीं :

1; टॉप स्पीड: 2,174 किमी/घंटा (Mach 1.76)
2; लंबाई: 14.7 मीटर
3; विंगस्पैन: 7.15 मीटर
4; अधिकतम टेकऑफ वेट: 9,800 किलो
5; अधिकतम पेलोड: 2,000 किलो
6; फ्यूल कैपेसिटी: 3,831 लीटर
7; सर्विस सीलिंग: 18,000 मीटर

पाकिस्तान के F-104 को भी पछाड़ा

बरार ने टीओआई से बातचीत में कहा कि MiG-21 ने सिर्फ 1971 ही नहीं, बल्कि बाद के सालों में भी दुश्मनों को सबक सिखाया। पाकिस्तान के पास अमेरिकी F-104 स्टारफाइटर था, जिसे उस दौर का ‘सुपर-पावर’ जेट माना जाता था। लेकिन भारतीय पायलटों ने MiG-21 से कई बार इस जेट को गिरा दिया। इतनी जबरदस्त रफ्तार और ऊंचाई हासिल करने की ताकत ने इसे पाकिस्तान और चीन दोनों के खिलाफ युद्ध में भारतीय वायुसेना का ‘गेम-चेंजर’ बना दिया।

ट्रेनिंग से लेकर टेक्नोलॉजी तक

एयर मार्शल बरार बताते हैं कि 1960 के दशक में भारत ने अपने पायलटों को रूस भेजा था, जहां MiG-21 की पहली ट्रेनिंग मिली। वहां 330 किमी/घंटे की स्पीड से उड़ान भरते हुए भारतीय पायलटों ने धीरे-धीरे इसको काबू करना सीखा। बाद में जब इसे भारतीय परिस्थितियों में ढाला गया, तो यह और भी खतरनाक हथियार बन गया।

WorkHorse बना MiG-21

MiG-21 सिर्फ युद्धों में नहीं, बल्कि शांति काल में भी भारतीय वायुसेना का सबसे बड़ा वर्कहॉर्स बना। इसने 62 साल तक सेवा दी है। 1965, 1971, करगिल युद्ध और बालाकोट स्ट्राइक के दौरान भी इसकी भूमिका अहम रही।

1; कारगिल युद्ध (1999) में MiG-21 ने बम गिराकर पाकिस्तान के बंकरों को ध्वस्त किया।
2; 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद जब पाकिस्तान ने जवाबी हमला किया, तो विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने इसी MiG-21 से पाकिस्तान का F-16 गिराया।

MiG-21 को क्यों रिटायर करना पड़ रहा?

तकनीकी रूप से अब MiG-21 पुराना हो चुका है और भारत ने धीरे-धीरे राफेल, सुखोई और तेजस जैसे अत्याधुनिक जेट शामिल किए हैं। ऐसे में MiG-21 को सितंबर 2025 तक विदाई देना तय किया गया है।

19 सितंबर को होगा रिटायर

भारतीय वायु सेना 19 सितंबर, 2025 को अपने मिग-21 लड़ाकू विमान को रिटायर करेेेगी। यह भारत के सैन्य विमानन में मिग-21 के 62 साल के युग के अंत का प्रतीक है। MiG-21 चंडीगढ़ एयरबेस से आखिरी उड़ान भरेगा।

Also Read
View All

अगली खबर