दिल्ली में कांग्रेस सांसद सुधा रामकृष्णन की सोने की चेन छिन गई थी, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है। दो हफ़्ते बाद कोर्ट से मिली अपनी चेन पाकर सांसद को अपनी विधवा माँ की वो बात याद आई जब उन्होंने पहली नौकरी पर कमाई के बारे में पूछा था। इस घटना ने सांसद को दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाने पर मजबूर कर दिया है। चेन्नई से दिल्ली की सुरक्षा में अंतर को उन्होंने रेखांकित किया है।
कांग्रेस की लोकसभा सांसद सुधा रामकृष्णन की सोने की चेन बदमाश ने छीन ली थी। 4 अगस्त की सुबह वह एक राज्यसभा सांसद के साथ टहलने निकली थीं, इस दौरान उनके साथ छिनतई की वारदात हो गई।
पुलिस ने फिर इस मामले में कार्रवाई करते हुए 6 अगस्त को चेन छीनने वाले बदमाश को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन सांसद ने बताया कि घटना के लगभग दो हफ्ते बाद 18 अगस्त को उन्हें अपनी चेन वापस लेने के लिए कोर्ट से समन मिला।
सांसद ने कहा कि पुलिस ने उन्हें 18 अगस्त को पटियाला हाउस आने को कहा था। वह दोपहर करीब 2 बजे वहां पहुंची और जज ने उन्हें शाम 5 बजे बुलाया। इस दौरान उन्हें कई तरह की सोने की चेन और पेंडेंट दिखाए गए, जिनमें से उन्होंने अपनी चेन पहचान ली। फिर सांसद को उनकी चेन वापस कर दी गई।
रामकृष्णन ने बताया कि वह चेन उनके दिल में एक खास स्थान रखता है। उन्होंने बताया कि मैं वह चेन हर दिन पहनती हूं और उस पेंडेंट पर तिरुपति बालाजी की तस्वीर है, जिन्हें मैं अपने दिल के बहुत करीब मानती हूं।
वह चेन उनकी आजादी की भी याद दिलाती थी। उन्होंने पुरानी बात याद करते हुए कहा कि आज मेरे पास जो कुछ भी है, मैंने अपनी मेहनत की कमाई से खरीदा है। जब मैंने वकील के रूप में काम करना शुरू किया, तो मैंने कसम खाई थी कि मैं किसी भी चीज के लिए अपने परिवार पर निर्भर नहीं रहूंगी।
उन्होंने कहा कि मेरी मां विधवा हैं, जब मुझे पहली नौकरी मिली, तो उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं कितना कमाती हूं। मैं थोड़ी शर्मिंदा हुई क्योंकि वकील ज्यादा नहीं कमाते। इसलिए मैंने हंसते हुए उनसे कहा कि आपको इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है, मैं आपसे कोई पैसा नहीं मांगूंगी।
छिनतई की घटना ने सांसद को परेशान कर दिया। उन्होंने कहा कि चेन्नई में मुझे ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ। मैं अंधेरे में अपने गहने पहनकर बाहर जाती हूं, वहां ऐसा कुछ कभी नहीं हुआ। अगर हुआ भी, तो मुझे पता है कि आस-पास पुलिस की गश्ती गाड़ियां होंगी जिन्हें मैं सतर्क कर सकती हूं।
उन्होंने कहा कि यहां, दिल्ली में, जो राजधानी है, मैंने आस-पास कोई पुलिस गाड़ी नहीं देखी। जब मैंने एक गश्ती गाड़ी को सूचित किया, तो उन्होंने मुझे पुलिस स्टेशन जाने को कहा। चेन्नई में, पुलिस कम से कम आस-पास की दूसरी गश्ती गाड़ियों को उस आदमी पर नजर रखने के लिए सतर्क कर देती।