डी-9 इंजन की क्षमता 5800 टन वजन ढोने की है। इंजन का 90 प्रतिशत पार्ट भारत में ही बना है। यह मेक इन इंडिया अभियान का हिस्सा है।
किसी जमाने में डीजल इंजन के लिए जाना जाने वाला गुजरात का दाहोद अब विश्व प्रसिद्ध हो गया है, क्योंकि वहां की रेल फैक्टरी में इतना ताकवर इंजन बनने लगा है, जिसकी क्षमता दो मालगाड़ी को लेकर सरपट भागने की है. इन इंजनों को न सिर्फ घरेलू स्तर पर इस्तेमाल होगा बल्कि एक्सपोर्ट भी किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले D-9 इंजन को सोमवार को हरी झंडी दिखाई. D-9 या Dahod-9000… कोड नेम 2019 में आई T-19 या Train - 19 के जैसा ही है. जिसे आज हम पैसेंजर ट्रेनों की रफ्तार की रानी Vande Bharat Express के रूप में जानते हैं. यह देश की सर्वाधिक तेज 160 किमी/घंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेन है.
D-9 इंजन भी अत्यधिक शक्तिशाली 9000 हॉर्सपावर की क्षमता का है. इसकी अधिकतम स्पीड 120 किमी प्रति घंटा होगी. इसमें एडवांस डिजिटल ट्रैकिंग सुविधा दी गई है. साथ ही कवच सेफ्टी सिस्टम भी है. डी 9 इंजन 5800 टन वजन तक खींच सकते हैं. इतनी ताकत होने के कारण यह दुनिया के सर्वाधिक क्षमता वाले इंजनों में शुमार है.
इंडियन रेलवे ने सीमेंस के साथ मिलकर D-9 इंजन को विकसित किया है. इसके 90 फीसद कंपोनेंट स्वदेशी हैं, जिन्हें मेक इन इंडिया अभियान के तहत विकसित किया गया है.
नार्थ सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी के मुताबिक दाहोद फैसिलिटी को तैयार होने में दो साल का वक्त लगा है. यह फैक्टरी अत्याधुनिक तकनीक से लैस है. सीमेंस के साथ मिलकर यहां करीब 1200 इंजन बनेंगे.
सीमेंस लिमिटेड के सीईओ सुनील माथुर के मुताबिक इस इंजन के आने से रेलवे को मालभाड़े में खासी बढ़ोतरी होगी. ये इंजन 35 साल तक सेवाएं दे पाएंगे.