PM Modi will Not Retire: पीएम नरेंद्र मोदी फिलहाल रिटायरमेंट नहीं लेने वाले है। आरएसएस के वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार, संघ का ऐसा कोई संविधान नहीं है जो कहता हो कि 75 वर्ष की आयु तक सेवानिवृत्त होना आवश्यक है।
PM Narendra Modi Will Not Retirement: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश करते हुए स्पष्ट किया है कि संगठन के संविधान में 75 वर्ष की आयु में रिटायरमेंट का कोई नियम नहीं है। यह बयान उस समय आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सितंबर में 75 वर्ष के हो जाएंगे और विपक्षी दल RSS प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान का हवाला देकर उनकी सेवानिवृत्ति की अटकलें लगा रहे हैं। भागवत ने जुलाई में नागपुर में एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा था कि नेताओं को 75 वर्ष की आयु में पद छोड़कर नए लोगों को मौका देना चाहिए। RSS के वरिष्ठ सूत्रों ने इस बयान को संदर्भ से बाहर बताते हुए कहा, प्रत्येक संगठन को अपने नियमों के अनुसार काम करना चाहिए।
RSS अपने शताब्दी वर्ष में संगठनात्मक विस्तार पर जोर दे रहा है। सूत्रों के अनुसार, संगठन अक्टूबर तक देशभर में एक लाख शाखाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखता है, जिनमें से 2,018 शाखाएं पश्चिम बंगाल में होंगी। बंगाल को RSS ने प्राथमिकता वाला राज्य बताया, लेकिन साथ ही इसे चुनौतीपूर्ण भी माना, क्योंकि वहां बार-बार होने वाली राजनीतिक हिंसा संगठन के लिए बाधा बन रही है। RSS ने ममता बनर्जी सरकार पर आरोप लगाया कि वह मोहन भागवत के सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए अनुमति देने में आनाकानी करती है। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, हमें भागवत जी की सभा के लिए कोर्ट का सहारा लेना पड़ा।
RSS ने पश्चिम बंगाल में 'राजधर्म' की कमी पर चिंता जताई। संगठन का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकारें एक-दूसरे की दुश्मन नहीं हैं, लेकिन लोगों के स्वतंत्र जीवन का अधिकार सुनिश्चित करना जरूरी है। RSS ने बंगाल में राजनीतिक संरक्षण के कारण होने वाली हिंसा पर सवाल उठाया और कहा कि जनता को इस पर विचार करना चाहिए। संगठन ने यह भी जोर दिया कि बंगाल में उसका विस्तार राष्ट्रीय एकता और हिंदू संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए है।
RSS ने राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट की। संगठन ने सभी भारतीयों के लिए एक समान जनसंख्या नीति की वकालत की, न कि केवल जनसंख्या नियंत्रण पर जोर दिया। इसके अलावा, अल्पसंख्यक संस्थानों से संबंधित अनुच्छेद 30 में संशोधन की मांग की। भाषा के मुद्दे पर RSS ने कहा कि एक संपर्क भाषा हो सकती है, लेकिन राष्ट्रीय भाषाएं अनेक हो सकती हैं। विदेश नीति पर संगठन का कहना है कि भारत को सभी देशों, जिसमें चीन भी शामिल है, के साथ संबंध रखने चाहिए, लेकिन राष्ट्रीय प्रभुता सर्वोपरि है।
RSS ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर कथित हमलों पर चिंता जताई। एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा, न तो गैर-हिंदुओं को प्रताड़ित किया जाना चाहिए और न ही हिंदुओं को बांग्लादेश में सताया जाना चाहिए। संगठन ने वहां धार्मिक समुदायों के बीच शांति और सह-अस्तित्व की वकालत की।
RSS ने स्पष्ट किया कि वह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व का समर्थन करता है। संगठन के सूत्रों ने कहा कि मोदी 2029 तक देश का नेतृत्व करेंगे, जैसा कि गृह मंत्री अमित शाह पहले कह चुके हैं। यह बयान उन अटकलों को खारिज करता है, जो विपक्षी नेताओं जैसे संजय राउत और अरविंद केजरीवाल ने उठाई थीं। RSS का यह रुख बिहार में हाल ही में शुरू की गई 13,000 करोड़ की परियोजनाओं और बंगाल में संगठन की विस्तार योजनाओं के साथ मिलकर देश में मजबूत नेतृत्व और विकास की दिशा में उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।