ओडिशा सरकार ने महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति दी है, लेकिन इसके लिए लिखित सहमति अनिवार्य होगी। सरकार ने विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के उपाय शामिल हैं। इसके तहत कारखानों, दुकानों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में महिलाएं रात में काम कर सकेंगी।
ओडिशा सरकार ने महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति दे दी है, लेकिन इसके साथ माझी सरकार ने एक शर्त भी रख दी है।
राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने के लिए लिखित सहमति अनिवार्य होगी। इस संबंध में ओडिशा सरकार ने नई अधिसूचना जारी कर दी है।
श्रम एवं कर्मचारी राज्य बीमा विभाग ने नाइट शिफ्ट से संबंधित एक विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया है। इसके तहत महिलाओं को कारखानों, दुकानों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में रात के समय काम करने की अनुमति दी गई है।
गाइडलाइन में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि नाइट शिफ्ट महिलाएं तभी काम कर पाएंगे, जब कम से कम ऑफिस में तीन महिला कर्मचारी उपस्थित होंगी। उन्हें लाने और ले जाने के लिए जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम सहित पर्याप्त परिवहन सुविधाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए।
इसके अलावा, कंपनी को सभी ड्राइवरों के बायोडेटा और पुलिस रिकॉर्ड की पुष्टि करनी होगी, चाहे वे सीधे नियोजित हों या सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से नियुक्त किए गए हों।
वहीं, नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के लिए साफ शौचालय और पेयजल की सुविधाएं प्रदान करना अनिवार्य है। इसके साथ, इन सुविधाओं तक पहुंचने वाले रास्तों पर सीसीटीवी भी होनी चाहिए।
बता दें कि नई गाइडलाइन में महिला कर्मचारियों के स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता की गई है। ऐसा कहा गया है कि दिन और रात की ड्यूटी के बीच बदलाव के दौरान शिफ्टों के बीच कम से कम लगातार आठ घंटे अंतराल होना चाहिए ताकि उन्हें अगली शिफ्ट संभालने से पहले आराम मिल सके।
नई गाइड लाइन के बारे में जानकारी देते हुए ओडिशा के श्रम मंत्री गणेश राम सिंहखुंटिया ने कहा कि महिलाओं को सख्त सुरक्षा प्रावधानों के साथ नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति देकर, सरकार न केवल रोजगार के अवसर पैदा कर रही है, बल्कि महिलाओं के लिए एक सुरक्षित कार्य वातावरण भी सुनिश्चित कर रही है।
इसपर विपक्षी दल बीजद ने निशाना साधा है। बीजद विधायक प्रमिला मलिक ने कहा कि अगर महिलाएं नाइट शिफ्ट के लिए स्व-घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करती हैं, तो इसका मतलब है कि वे अपनी सुरक्षा के लिए खुद जिम्मेदार हैं। फिर सरकार क्यों है? वो सरकार महिलाओं के लिए क्या करेगी?