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Atal Bihari Vajpayee और कलाम ने CIA को चकमा देकर दुनिया हिला दी, अमेरिका को भनक भी नहीं लगी

Pokhran Secrecy: अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 1998 में बेहद गोपनीयता से परमाणु परीक्षण कर दुनिया को हिला दिया। इस तरह भारत परमाणु महाशक्ति बन गया।

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Dec 25, 2025
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम। (फोटो: AI Generated)

Pokhran-II: तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिन 25 दिसंबर के अवसर पर उनसे संबंधित काम यादों के एलबम में सजे हुए है। 11 मई 1998 का दिन भारतीय इतिहास की अमर गाथा है। राजस्थान के पोकरण रेगिस्तान में हुए परमाणु परीक्षणों (Pokhran Nuclear Tests) ने भारत को दुनिया की छठी परमाणु शक्ति बना दिया और वैश्विक पटल पर भारत की ताकत का जोरदार ऐलान किया। उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने इस ऑपरेशन को संभव बनाया, जिसे 'ऑपरेशन शक्ति' (Operation Shakti) नाम दिया गया। सन 1998 में एनडीए सरकार बनते ही वाजपेयी ने परमाणु परीक्षण(India Nuclear Power)की दिशा में निर्णायक कदम उठाया। सन 1974 के 'स्माइलिंग बुद्धा' के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव ने भारत को रोके रखा था। सन 1995 में नरसिंहा राव सरकार की योजना अमेरिकी सैटेलाइट्स की भनक से रुक गई। लेकिन वाजपेयी ने सत्ता संभालते ही तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने वैज्ञानिकों को निर्देश दिए और पूरी गोपनीयता बरती जाए। अमेरिकी एजेंसी सीआईए को चकमा (CIA Surprise) देने के लिए अनोखे तरीके अपनाए गए – वैज्ञानिक सेना की वर्दी में पोकरण पहुंचे (Vajpayee Kalam Secrecy), उपकरण रात में ले जाए गए।

परमाणु परीक्षण से देश में उत्साह की लहर

11 मई 1998 को दोपहर 3:45 बजे तीन परमाणु उपकरणों का एक साथ विस्फोट किया गया – एक थर्मोन्यूक्लियर (हाइड्रोजन बम), एक फिशन डिवाइस और एक सब-किलोटन डिवाइस। 13 मई को दो और सब-किलोटन परीक्षण हुए। कुल पांच विस्फोटों को 'शक्ति-I से शक्ति-V' नाम दिया गया। सफलता की खबर मिलते ही डॉ. कलाम ने प्रधानमंत्री को हॉटलाइन पर संदेश भेजा: "बुद्धा हैज स्माइल्ड अगेन" (बुद्धा फिर मुस्कुराए)। वाजपेयी ने तुरंत प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर घोषणा की: "आज 15:45 बजे भारत ने पोकरण रेंज में तीन भूमिगत परमाणु परीक्षण किए हैं।" बाद में दो और परीक्षणों की जानकारी दी गई। देश में उत्साह की लहर दौड़ गई। स्टॉक मार्केट में तेजी आई, जनता ने जश्न मनाया। वाजपेयी ने परीक्षण स्थल का दौरा कर वैज्ञानिकों को बधाई दी।

अमेरिका और जापान ने भारत पर प्रतिबंध लगाए

उसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और जापान ने प्रतिबंध लगाए। पाकिस्तान ने जवाबी परीक्षण किया। लेकिन वाजपेयी ने स्पष्ट किया कि भारत न्यूनतम विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता चाहता है, आक्रामक नहीं। उन्होंने नो-फर्स्ट-यूज नीति की पेशकश की। पोकरण-II ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत की और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बना। अब 11 मई को हर साल राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है। वाजपेयी की दृढ़ इच्छाशक्ति ने भारत को वैश्विक सम्मान दिलाया और दिखाया कि मजबूत भारत ही शांतिपूर्ण विश्व की गारंटी है।

कलाम की सूझबूझ: मेजर जनरल पृथ्वीराज बनकर पोकरण पहुंचे

मिसाइल मैन और पोकरण-II के मुख्य सूत्रधार डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की राजस्थान के पोकरण व जोधपुर से गहरी यादें जुड़ी हैं। वे रक्षा प्रयोगशाला में अक्सर आते थे और यहां के वैज्ञानिकों से घुले-मिले थे। सन 1998 के परीक्षण में उनकी भूमिका निर्णायक थी। गोपनीयता बनाए रखने के लिए कलाम 'मेजर जनरल पृथ्वीराज' के कोडनेम से पोकरण पहुंचे। जोधपुर की पावटा मंडी से ट्रक में आलू भरकर, ड्राइवर बन सिर पर साफा बांध कर गए। यह उनकी सूझबूझ थी कि सीआईए को भनक तक नहीं लगी। उन्होंने बुद्ध पूर्णिमा के दिन परीक्षण का सुझाव दिया। इसीलिए परीक्षण होने की सफलता पर वाजपेयी को संदेश भेजा: "बुद्धा हैज स्माइल्ड अगेन"।

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