Leh-Ladakh issue: राहुल गांधी ने लेह-लद्दाख मुद्दे पर केंद्र से हिंसा छोड़कर बातचीत शुरू करने की अपील की। उन्होंने स्थानीय मांगों को जायज ठहराते हुए शांति और संवाद पर जोर दिया।
Leh-Ladakh issue: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लेह-लद्दाख (Leh-Ladakh issue) में चल रहे तनाव को लेकर केंद्र सरकार से बातचीत शुरू करने की मांग(Congress appeal) की है। उन्होंने कहा कि हिंसा और भय की राजनीति तुरंत बंद करना चाहिए। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने लद्दाख (Ladakh protests)के लोगों की समस्याओं को सुनने और उनके साथ संवाद करने की जरूरत पर जोर दिया। उनका यह बयान क्षेत्र में चल रहे विरोध प्रदर्शनों और तनाव के बीच आया है, जहां स्थानीय लोग अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे हैं। लद्दाख में स्थानीय लोग लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं। इनमें छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा, पर्यावरण संरक्षण, और स्थानीय संसाधनों पर अधिकार जैसे मुद्दे शामिल हैं। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि केंद्र सरकार को इन मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए और स्थानीय लोगों के साथ खुल कर बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि हिंसा और दबाव की नीति से स्थिति और बिगड़ सकती है, जिसका पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर असर पड़ सकता है।
राहुल गांधी ने अपने बयान में जोर दिया कि बातचीत के जरिये ही लद्दाख के मुद्दों का समाधान निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को स्थानीय नेताओं, सामाजिक संगठनों और आम लोगों के साथ मिल कर एक सकारात्मक रास्ता तलाश करना चाहिए। उनका मानना है कि भय और दबाव की नीति न केवल लोगों का विश्वास तोड़ती है, बल्कि क्षेत्र में अशांति को भी बढ़ावा देती है। राहुल ने सरकार से अपील की कि वह तुरंत कदम उठाए और लद्दाख के लोगों की चिंताएं दूर करे।
लद्दाख में लोग छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, ताकि उनकी संस्कृति, जमीन और संसाधनों की रक्षा हो सके। इसके अलावा, पर्यावरणीय मुद्दों, जैसे ग्लेशियरों का पिघलना और बुनियादी ढांचे के विकास से होने वाला नुकसान, भी उनकी चिंता का बड़ा कारण है। राहुल गांधी ने कहा कि ये मांगें जायज हैं और इन्हें नजरअंदाज करना सरकार की गलती होगी। उन्होंने केंद्र से मांग की कि वह स्थानीय लोगों के हितों को प्राथमिकता दे।
राहुल गांधी ने अपने बयान में यह भी कहा कि लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है और वहां के लोगों की आवाज को दबाना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को सभी क्षेत्रों के लोगों को साथ लेकर चलना चाहिए, ताकि देश की एकता और अखंडता बनी रहे। लद्दाख के मुद्दे को सुलझाने के लिए उन्होंने संवाद और सहयोग को सबसे बेहतर रास्ता बताया। उनका यह बयान राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
बहरहाल राहुल गांधी ने लद्दाख मुद्दे पर केंद्र सरकार से हिंसा और दबाव की नीति छोड़कर बातचीत शुरू करने की अपील की है। उन्होंने स्थानीय लोगों की मांगों को जायज ठहराते हुए सरकार से तुरंत कदम उठाने की मांग की। यह बयान लद्दाख में शांति और स्थिरता की दिशा में एक नई शुरुआत हो सकता है, बशर्ते सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करे।