राजनाथ सिंह ने वडोदरा की सभा में दावा किया कि नेहरू पब्लिक फंड से बाबरी मस्जिद बनाना चाहते थे, लेकिन सरदार पटेल ने इस प्रस्ताव को रोक दिया।
गुजरात के वडोदरा जिले के साधली गांव में मंगलवार को आयोजित ‘एकता मार्च’ के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) को लेकर कई बड़े दावे किए। सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की 150वीं जयंती के अवसर पर संबोधित इस सभा में उन्होंने कहा कि नेहरू पब्लिक फंड का इस्तेमाल करके बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) बनवाना चाहते थे, लेकिन सरदार पटेल ने इस प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ने दिया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सरदार पटेल एक सच्चे उदार और वास्तविक सेक्युलर नेता थे, जो किसी भी प्रकार के तुष्टिकरण की राजनीति में विश्वास नहीं रखते थे। उनके अनुसार “अगर किसी ने नेहरू के प्रस्ताव का विरोध किया, तो वह सरदार पटेल थे, जिन्होंने साफ किया कि यह रास्ता सही नहीं है।”
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर नेहरू और पटेल की सोच पूरी तरह अलग थी। सिंह के मुताबिक:
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में भी जनता का ही पैसा लगा है, सरकार का नहीं। राजनाथ सिंह ने इसे “असली सेक्युलरवाद” बताया।
राजनाथ सिंह ने आरोप लगाया कि सरदार पटेल के निधन के बाद जब जनता ने उनके स्मारक के लिए धन एकत्र किया, तो नेहरू ने वह राशि गांवों में कुएं और सड़कों पर खर्च करने को कहा। सिंह ने इसे “ढोंग” करार देते हुए कहा कि कुएं और सड़कें बनाना तो खुद सरकार का दायित्व होता है। रक्षा मंत्री ने यहां तक कहा कि “नेहरू ने खुद को भारत रत्न दिया, लेकिन उसी समय सरदार पटेल को यह सम्मान क्यों नहीं दिया गया?”
राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बनाई गई ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की सराहना करते हुए कहा कि यह वही सम्मान है, जिसके पटेल हकदार थे। उन्होंने दावा किया कि कुछ लोग पटेल की विरासत को छिपाने की कोशिश करते रहे, लेकिन बीजेपी सरकार ऐसा होने नहीं देगी। राजनाथ सिंह बोले कि पीएम मोदी के प्रयासों ने सरदार पटेल को इतिहास के पन्नों में फिर से एक चमकते सितारे की तरह स्थापित किया है।