सरकारी विभागों की हर आदेश पर अपील करने की प्रवृत्ति पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने चिंता जताई है, जिससे न्याय व्यवस्था पर बोझ बढ़ रहा है। प्रधान न्यायाधीश ने इस समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय एजेंसी बनाने का सुझाव दिया है। सीजेआई ने न्यायपालिका में जिम्मेदारी और कुछ जजों के व्यवहार को लेकर भी चिंता व्यक्त की है। अनावश्यक अपीलों से न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है, जिससे नागरिकों के अधिकारों पर असर पड़ रहा है।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सरकारी विभागों की उस प्रवृत्ति पर चिंता जताई है, जिसमें वे हर आदेश के खिलाफ अपील दाखिल करते हैं, भले ही आदेश कानूनी रूप से सही हो।
उन्होंने कहा कि यह प्रथा न केवल न्याय व्यवस्था पर बोझ डाल रही है बल्कि बेवजह मुकदमेबाजी को बढ़ावा देती है। मेघवाल ने 10वें ऑल इंडिया कांफ्रेंस ऑफ सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में कहा, 'कई बार देखा जाता है कि अधिकारी केवल पहले की गई एक टिप्पणी के आधार पर अपील करने पर जोर देते हैं, जबकि आदेश सही होता है। बाद में जब संबंधित अधिकारी रिटायर हो जाते हैं, तो पता चलता है कि अपील की कोई जरूरत ही नहीं थी। इस प्रवृत्ति को सुधारना होगा।'
सम्मेलन में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) बी.आर. गवई ने भी कहा, लंबित मामलों को कम करने के लिए जरूरी है कि सरकार की ओर से दायर होने वाली अपीलों की पहले से छंटनी की जाए।
उन्होंने सुझाव दिया कि इसके लिए एक केंद्रीय एजेंसी बनाई जानी चाहिए। सीजेआइ ने बताया कि सरकार सबसे बड़ी वादी है और अक्सर अपीलें तब भी दायर कर दी जाती हैं जब कैट और हाईकोर्ट दोनों ने एक जैसे निष्कर्ष दिए हों।
उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति न्यायिक बोझ बढ़ाती है और वर्षों तक चलने वाली मुकदमेबाजी नागरिकों के अधिकारों को प्रभावित करती है। उन्होंने न्यायपालिका में जिम्मेदारी और विनम्रता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, 'जज और वकील न्याय के स्वर्ण रथ के दो पहिए हैं—न कोई श्रेष्ठ, न हीन। शक्ति हमारे पास है, लेकिन इसे नम्रता और जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल करना होगा।'
सीजेआइ ने चेतावनी दी कि अदालतों में कुछ जजों के व्यवहार से वकीलों में असंतोष पैदा हो रहा है, इसलिए आत्मसंयम और संतुलन आवश्यक है। गवई ने कहा कि न्यायपालिका का अस्तित्व अंतिम नागरिक के लिए है, इसलिए निष्पक्षता सर्वोपरि होनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी मेघवाल की राय से सहमति जताते हुए कहा कि कैट का उद्देश्य सरल न्याय देना था, लेकिन अपील संस्कृति से यह मकसद अधूरा रह गया है।