सार्वजनिक स्थानों पर कार्यक्रम करने से पहले अनुमति लेने के कर्नाटक कांग्रेस सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए उन्हीं की पार्टी के नेता और विधायक के.एन. राजन्ना ने सवाल उठाया है कि क्या सड़क पर नमाज़ अदा करने वाले लोगों को भी अनुमति लेनी होगी।
कर्नाटक सरकार इन दिनों स्वयं सेवक संघ (RSS) पर काफी हमलावर हो रखी है। सीएम से लेकर उनकी पार्टी के नेता कई मौकों पर राज्य में संघ की गतिविधियों पर बैन की मांग कर चुके है। हाल ही में सरकार ने संघ को निशाना बनाते हुए सभी संगठनों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है। लेकिन जहां एक तरफ कांग्रेस को यह नियम लागू करने में विपक्षी भाजपा के विरोध का सामना करना पड़ा रहा है वहीं अब उनकी ही पार्टी के एक नेता इस फैसले को लेकर पार्टी के विरोध में उतर आए है।
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कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक के.एन. राजन्ना ने इन नए नियम पर सवाल उठाते हुए सरकार से पूछा है कि क्या सड़क पर नमाज़ अदा करने वाले लोगों को भी अनुमति लेनी होगी। शनिवार को तुमकुरु में मीडिया से बातचीत करते हुए राजन्ना ने कहा, क्या सच में ऐसा कोई कानून लाने की ज़रूरत है। यह कानून सिर्फ़ कागज़ों पर हो सकता है, लेकिन देखते हैं कि इसे ज़मीन पर कितना लागू किया जा सकता है। लोग सड़क पर नमाज़ अदा करते हैं, क्या वे इसके लिए अनुमति लेते हैं। क्या हम उन्हें कहते हैं कि जाओ, पहले अनुमति लेकर आओ।
राजन्ना ने आगे सवाल उठाते हुए कहा, क्या सड़कों पर नमाज पढ़ने वाले खुद से इसके लिए इजाज़त लेने आएंगे, या क्या हमें उनसे इजाज़त लेने के लिए कहना पड़ेगा। कांग्रेस विधायक ने आगे कहा, हमें केवल ऐसे कानून बनाने चाहिए जिन्हें लागू किया जा सके। अगर हम ऐसे कानून बना देते हैं जिन्हें लागू नहीं किया जा सकता, तो वे सिर्फ किताबों में ही रह जाएंगे। बता दें कि राहुल गांधी के हाल ही में उनके वोट चोरी के दावों का खंडन करने के चलते राजन्ना को कैबिनेट से हटा दिया था।
राजन्ना ने एक सवाल का जवाब देते हुए यह स्पष्ट किया कि, मंत्री प्रियांक खड़गे ने एक पत्र लिख कर RSS को सार्वजनिक स्थानों पर बैठकें आयोजित करने के लिए अनुमति लेना अनिवार्य करने की बात कही है। उन्होंने RSS पर प्रतिबंध लगाने के लिए नहीं कहा है। यह नियम यह सुनिश्चित करना चाहता है कि सभी संगठन कार्यक्रम आयोजित करने से पहले अनुमति लें। हालांकि यह देखना बाकी है कि इसे कितना लागू किया जा सकता है।