Shin Bet : मोसाद नहीं इस बार इजरायल की इस खुफिया एजेंसी का है दिमागलेबानन में हुए पेजर और रेडियो सेट अटैक में अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है और तीन हजार घायल हैं। इस तरह के हमले से दुनिया हैरान है और इसके पीछे वह मोसाद को मान रही है लेकिन इस बार इजरायल ने खेल बदल दिया है। जानिए कौन है वह खतरनाक एजेंसी?
लेबनान में आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के पेजर और रेडियो सेट अटैक में अब तक 40 लोगों की मौत हो गई। वहीं 3000 से अधिक लोग घायल हैं। दो दिन लगातार हुए इस तरह के हमले में हर बार इजरायल का नाम लिया जा रहा है। इसके पीछे मोसाद को दिमाग माना जा रहा है लेकिन इस बार का यह ऑपरेशन मोसाद ने नहीं किया है। ये अलग बात है कि इसे अंजाम इजरायल की ही एजेंसी ने दिया है।
जी, हां बात कर रहे हैं इजरायल की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसी शिन बेट (Shin Bet) की। चीन की राज्य सुरक्षा मंत्रालय (MSS) की तरह इस खुफिया एजेंसी का नाम भी सामने बहुत ही कम आता है। यही खूबी इसे सबसे खतरनाक और चपल बनाती है। है। शिन बेट (Shin Bet) इजरायल की आंतरिक सुरक्षा एजेंसी है। यह आतंककारियों से निपटने से लेकर देश के दुश्मन को नेस्तेनाबूत करने का काम करती है। फिर चाहे वह किसी भी सरजमीं पर हो।
यह एजेंसी मोसाद के साथ भी कई ऑपरेशन करती है लेकिन दुनिया को इसके काम की भनक तक नहीं लगती है। इसके काम करने का तरीका मोसाद से भी ज्यादा चपल है। इस एजेंसी को दुनिया की सबसे शक्तिशाली और प्रभावी खुफिया एजेंसियों में से एक माना जाता है। इसकी कम पहचान ही इसे सबसे ताकतवर बनाती है। सभी को दिखाई मोसाद देती है और शिनबेट चुपचाप दुश्मन का विकेट गिरा देती है।
इजरायल ने आंतरिक खतरों से निपटने के लिए 1948 में इसकी स्थापना अपनी स्वतंत्रता के बाद की थी। एजेंसी आतंकवाद, जासूसी और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों पर न केवल नजर रखती है बल्कि हर आने वाले खतरे को खत्म करने का काम करती है। ये बहुत ही खतरनाक है। इसने कई बड़े ऑपरेशन किए हैं। इसने सबसे बड़ा ऑपरेशन 1956 में सामने आया था जब इसने सीरियाई जासूस एलियाहू हकिम को पकड़ लिया था।
शिन बेट ने 1960 में शिन बेट कुख्यात नाजी अधिकारी अडोल्फ आइख्मान को अर्जेंटीना से जिंदा इजरायल उठा लाई थी। उसे मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की वो सजा सुनाई थी आज भी सुनकर रूह कांप जाती है। यह फिलिस्तीनी आतंकी समूहों के लिए तो बहुत ही खतरनाक है। हर बार उन्हें ऐसी चोट देती है कि उन्हें फिर से खड़े होने में सालों लग जाते हैं।