Supreme Court News: लोकसेवक पर एससी-एसटी कानून का मामला, कोर्ट ने कहा कि दंड कार्रवाई से पहले प्रशासनिक जांच की सिफारिश जरूरी
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अजा-जजा अत्याचार निवारण कानून के तहत कर्तव्य में चूक के लिए किसी लोक सेवक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू करने से पहले उस मामले में प्रशासनिक जांच की सिफारिश अनिवार्य है। कोर्ट ने एक थानाधिकारी के मामले में यह फैसला सुनाया जिसने ST-SC अत्याचार निवारण कानून के तहत एफआइआर दर्ज करने से इनकार कर दिया था।
कर्तव्य में ऐसी चूक होने पर कानून के तहत छह माह के कारावास की सजा का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट के सामने सवाल था कि क्या प्रशासनिक जांच की सिफारिश के बिना लोक सेवक के विरुद्ध अपराध का संज्ञान लिया जा सकता है? जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी ने आदेश में कहा कि अपराध और चूक के लिए संज्ञान लेने सहित दंडात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए, प्रशासनिक जांच की सिफारिश एक अनिवार्य शर्त है।
इस मामले में थानाधिकारी के खिलाफ प्रशासनिक जांच की सिफारिश के अभाव में ट्रायल कोर्ट ने एसएचओ के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने से इनकार कर दिया था। लेकिन पीडि़त की अपील पर हाईकोर्ट ने उसके खिलाफ कानून के अनुसार कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया। थानाधिकारी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में अपील कर चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया।