RG Kar Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आरजी कर रेप और मर्डर केस में सुनवाई को पश्चिम बंगाल से बाहर ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया।
RG Kar rape and murder case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को आरजी कर रेप और मर्डर केस (RG Kar Case) में सुनवाई को पश्चिम बंगाल से बाहर ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया। मामले को ट्रांसफर करने के वकील के अनुरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने कहा हां हमने मणिपुर जैसे मामलों में ऐसा किया है। लेकिन हम यहां ऐसा नहीं कर रहे हैं। ऐसा कोई स्थानांतरण नहीं है। यह घटनाक्रम सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष हुआ। जो कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल के एक जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या से संबंधित मामले की स्वत: सुनवाई कर रही थी।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमने सीबीआई द्वारा दायर छठी स्थिति रिपोर्ट देखी है, जो दर्शाती है कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 64 और 103 के तहत दंडनीय आरोप तय किए हैं। अगली सुनवाई 11 नवंबर को है। चूंकि जांच चल रही है, इसलिए हम टिप्पणी करने से परहेज कर रहे हैं। चार सप्ताह बाद अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दायर की जाए। पीठ ने अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों के लिए सुरक्षित कार्य स्थितियों को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की सिफारिश करने के लिए गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स की रिपोर्ट की भी समीक्षा की।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि रिपोर्ट सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों के बीच वितरित की जानी चाहिए ताकि वे सुझाव दे सकें। उन्होंने कहा कि यह अभ्यास तीन सप्ताह में पूरा किया जाना चाहिए। बंगाल के डॉक्टरों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कुछ आपत्तियां उठाईं। मुख्य न्यायाधीश ने उनसे सुझाव प्रस्तुत करने को कहा। एक मौके पर एक वकील ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों का न्यायपालिका से भरोसा उठ रहा है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने सख्ती से जवाब दिया और वकील से पूछा आप किसके लिए पेश हो रहे हैं? ऐसे सामान्य बयान मत दीजिए। ऐसी कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि यह अदालत में कैंटीन में होने वाली गपशप है।
बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में जूनियर डॉक्टर की रेप और हत्या की घटना के बाद पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ, क्योंकि डॉक्टर कार्यस्थल पर सुरक्षा की मांग को लेकर सड़कों पर उतर गए। इस मामले में ममता बनर्जी सरकार को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने ममता सरकार पर मामले को छुपाने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया। कोलकाता हाईकोर्ट पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं था और उसने मामले को सीबीआई को सौंप दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया के लिए उसे फटकार लगाई। तब से शीर्ष अदालत सीबीआई की जांच की निगरानी कर रहा है। वहीं अब मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद अगले मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में जगह लेंगे।