भारत में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताते हुए इसकी जांच CBI को सौंप दी है। कोर्ट ने बैंक, सोशल मीडिया और टेलीकॉम संस्थानों को सख्त निर्देश दिए हैं, ताकि साइबर ठगी के इस नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जा सके।
भारत में डिजिटल क्रांति ने जहां लोगों की ज़िंदगी आसान बनाई है, वहीं हाल के महीनों में ‘डिजिटल अरेस्ट स्कैम’ के मामलों में खतरनाक बढ़ोतरी ने देशभर की चिंता बढ़ा दी है। सोमवार (आज) को सुप्रीम कोर्ट ने इस स्कैम को अत्यंत गंभीर मुद्दा बताते हुए कड़ा रुख अपनाया और इसकी जांच सीबीआई (CBI) को सौंपने के आदेश दिए।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक हाई-टेक धोखाधड़ी का तरीका है, जिसमें जालसाज खुद को CBI, ED, पुलिस या अन्य सरकारी एजेंसियों के अधिकारी बताकर वीडियो कॉल करते हैं। वे पीड़ित को किसी गंभीर अपराध में फंसा हुआ बताते हैं और कहते हैं कि वह ‘डिजिटल अरेस्ट’ में है यानि वह किसी से बात नहीं कर सकता, घर से निकल नहीं सकता। डर और दहशत की स्थिति का फायदा उठाकर ये ठग पीड़ितों से करोड़ रुपये वसूल चुके हैं।
दो-न्यायाधीशों वाली बेंच ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक तेजी से बढ़ता साइबर खतरा है, जिसकी जड़ें देश के बाहर तक जाती हैं और इसकी तत्काल व व्यापक जांच जरूरी है। इसलिए कोर्ट ने निर्देश दिया:
सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि डिजिटल अरेस्ट स्कैम के बाद इन्वेस्टमेंट स्कैम और पार्ट-टाइम जॉब स्कैम भी CBI की जांच के दायरे में आएंगे । ये दोनों स्कैम वर्तमान में लाखों लोगों को निशाना बना रहे हैं। यह मामला अब भारत की साइबर सुरक्षा और डिजिटल फाइनेंशियल सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।