इस ऑपरेशन को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित कुमार डोभाल की निगरानी में अंजाम दिया जा रहा है
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने में बड़ी सफलता हासिल की है। राणा, जो पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक है, अब एनआइए की हिरासत में है और उसे लेकर एक विशेष विमान गुरुवार दोपहर तक भारत पहुंचेगा। इस संवेदनशील ऑपरेशन को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित कुमार डोभाल की निगरानी में अंजाम दिया जा रहा है, जिसमें गोपनियता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। राणा को फिलहाल दिल्ली में एनआइए मुख्यालय में रखा जाएगा, जहां से उसकी जांच और पूछताछ की प्रक्रिया शुरू होगी।
राणा को हिरासत में रखने के लिए दिल्ली और मुंबई की दो जेलों में विशेष इंतजाम किए गए हैं। जेल में उसकी सुरक्षा और निगरानी के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। उसकी सेल में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, और बाहर कमांडो तैनात रहेंगे। राणा को किसी भी अन्य कैदी से बातचीत की इजाजत नहीं होगी, और उसकी सेल में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था की जाएगी। उसकी रोजाना स्वास्थ्य जांच होगी, और उसे दिए जाने वाले भोजन की भी सख्ती से जांच की जाएगी ताकि किसी भी तरह की अनहोनी से बचा जा सके। एनआइए राणा को कोर्ट में पेश कर अधिकतम हिरासत की मांग करेगी, ताकि उससे गहन पूछताछ की जा सके।
राणा का प्रत्यर्पण भारतीय कानूनी एजेंसियों के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है। उसने भारत प्रत्यर्पित किए जाने से बचने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन उसकी याचिका खारिज होने के बाद उसका आखिरी प्रयास भी विफल हो गया। भारत सरकार ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि राणा को जेल में किसी भी तरह की प्रताड़ना नहीं दी जाएगी। राणा से पूछताछ में 26/11 मुंबई हमले से जुड़े कई अहम राज खुलने की उम्मीद है। आरोप है कि राणा ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी डेविड हेडली की मदद की थी, जिसने हमले की साजिश में अहम भूमिका निभाई थी। हेडली ने अपने बयान में राणा का नाम लिया था और वह पहले से ही जेल में सजा काट रहा है। एनआइए के बाद मुंबई पुलिस भी राणा से पूछताछ के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकती है।
26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस हमले में 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने कई जगहों पर अंधाधुंध गोलीबारी और बम धमाके किए, जिसमें छह अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए थे। सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में नौ आतंकी मारे गए, जबकि एक आतंकी, अजमल कसाब, को जिंदा पकड़ा गया था। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद कसाब को मुंबई की एक जेल में फांसी दी गई। वह इस हमले में सजा पाने वाला एकमात्र आतंकी है। राणा के प्रत्यर्पण के बाद अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस हमले के पीछे के बड़े साजिशकर्ताओं को सजा दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।
राणा के कनाडा और पाकिस्तान से जुड़े तार इस मामले को और जटिल बनाते हैं। उसकी पूछताछ से न केवल मुंबई हमले की साजिश के अनछुए पहलुओं का खुलासा हो सकता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क के बारे में भी अहम जानकारी मिल सकती है। यह ऑपरेशन भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।