भारत की वर्तमान भौगलिक स्थिति को लेकर नए रिसर्च में बड़ा खुलासा हुआ है। रिसर्च के मुताबिक ओमान के नीचे छिपी एक 'घोस्ट प्लूम' (Ghost Plume) ने भारतीय उपमहाद्वीप (Indian subcontinent) की दिशा बदल दी थी।
भारत आज जहां है, वह वहां होता या नहीं, इसका जवाब करोड़ों साल पुरानी एक भूगर्भीय घटना में छिपा है। वैज्ञानिकों ने खोजा है कि ओमान के नीचे छिपी एक 'घोस्ट प्लूम' (Ghost Plume) ने भारतीय उपमहाद्वीप (Indian subcontinent) की दिशा बदल दी थी। 2.5 से 4 करोड़ साल पहले ओमान के सलमा पठार के नीचे मौजूद भूगर्भीय प्रवाह 'डैनी प्लूम' ने भारत (India) की टेक्टोनिक प्लेट को उत्तर की ओर धकेल दिया। यह प्लूम लावे का विस्फोट नहीं करता, लेकिन इसकी ऊर्जा इतनी अधिक थी कि उसने भारत की चाल और दिशा दोनों बदल दीं। इस प्लूम को 'घोस्ट' इसलिए कहा गया क्योंकि यह सतह पर दिखाई नहीं देता और न ही ज्वालामुखी जैसी हलचल करता है।
करीब 4 करोड़ साल पहले भारत और यूरेशियन प्लेट की टक्कर आज के मध्य एशिया के पास हुई थी। यह टक्कर ही हिमालय के जन्म का कारण बनी। पर वैज्ञानिकों की नई रिसर्च बताती है कि टक्कर के तुरंत बाद भारत की दिशा में थोड़ा मोड़ आया और इसका जिम्मेदार, यही रहस्यमय प्लूम था। जर्नल अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लैटर्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यह अब तक का पहला प्रत्यक्ष उदाहरण है, जिसमें किसी नॉन-मैग्मैटिक यानी कि बिना लावे वाले प्लूम को टेक्टोनिक प्लेट की दिशा बदलने से जोड़ा गया है।
सऊदी अरब के किंग फहद यूनिवर्सिटी के जियोफिजिसिस्ट और अध्ययन के प्रमुख लेखक सिमोन पिलिया के अनुसार, सलमा पठार की ऊंचाई और इसके नीचे दर्ज भूकंपीय गतिविधियों ने इस प्लूम की पुष्टि की। यह प्लूम सतह पर नहीं आ सका क्योंकि महाद्वीपीय प्लेटें समुद्री प्लेटों से कहीं मोटी होती हैं। इसके बावजूद इसका दबाव इतना था कि इससे पठार उभरा और भारत की दिशा बदल गई।
अब तक माना जाता था कि केवल विस्फोटक ज्वालामुखीय घटनाएं ही प्लेटों को प्रभावित करती हैं, लेकिन यह रिसर्च बताती है कि अदृश्य, शांत और गहरे दबे रहस्य भी महाद्वीपों की दिशा तय कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने भारत की भूगर्भीय यात्रा की दोबारा गणना की और पाया कि यह बदलाव डैनी प्लूम के ‘शीयर स्ट्रेस’ की वजह से हुआ।