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Epstein files में भारत का क्या राज ? 19 दिसंबर खुलासा, मोदी-अंबानी कनेक्शन की सच्चाई!

Epstein Files India: जेफ्री एपस्टीन फाइलों में पीएम मोदी और अनिल अंबानी जैसे बड़े नामों के साथ 'बैक-चैनल' संपर्क करने के प्रयास के दावे सामने आए हैं।

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Dec 19, 2025
एपस्टीन फाइल्स खुलासा। प्रतीकात्मक (फोटो: AI Genrated )

Epstein Files India: इस दिन का पूरी दुनिया को बेसब्री से इंतजार था। आज 19 दिसंबर 2025 है, और अमेरिका में विवादित जेफ्री एपस्टीन फाइल्स की बहुप्रतीक्षित रिलीज का दिन। अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट (DOJ) को कानून के तहत हजारों दस्तावेज सार्वजनिक करने हैं, लेकिन लेटेस्ट अपडेट्स से पता चला है कि ये पूरी फाइल्स एक साथ नहीं आएंगी। डिप्टी अटॉर्नी जनरल टॉड ब्लैंच ने कहा कि आज कुछ लाख दस्तावेज रिलीज होंगे, बाकी हफ्तों में जारी होंगे। भारत से जुड़े नामों 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और बिजनेसमैन अनिल अंबानी 'की चर्चा नवंबर से चल रही है। ये नाम हाउस ओवरसाइट कमेटी और ड्रॉप साइट न्यूज की रिपोर्ट्स से सामने आए, लेकिन तथ्य बताते हैं कि ये संपर्क बिजनेस, डिप्लोमैसी और जियोपॉलिटिकल हैं, कोई अपराध या सेक्स ट्रैफिकिंग से जुड़ा सुबूत या तथ्य नहीं है।

मोदी से मीटिंग सेट करने की कोशिश की थी

प्रधानमंत्री मोदी का नाम सबसे अप्रत्यक्ष है। 2019 में, गिरफ्तारी से दो महीने पहले, एपस्टीन ने स्टीव बैनन (ट्रंप के पूर्व एडवाइजर) से मोदी से मीटिंग सेट करने की कोशिश की। ईमेल में लिखा "Modi on board", मुद्दा चीन के खिलाफ रणनीति। लेकिन कोई मीटिंग नहीं हुई, और बैनन ने जवाब नहीं दिया। ये एपस्टीन की आदत थी – बड़े नेताओं से कनेक्शन बनाने की। ड्रॉप साइट और द वायर की रिपोर्ट्स में ये स्पष्ट है कि ये जियोपॉलिटिकल इंटरेस्ट था, मोदी या भारत सरकार से डायरेक्ट लिंक नहीं। भारत में इन नामों से राजनीतिक हलचल हुई। विपक्ष ने सवाल उठाए, सोशल मीडिया पर अफवाहें उड़ीं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया (गार्जियन, बीबीसी) और इंडिपेंडेंट रिपोर्ट्स ने कहा कि ये सतही संपर्क हैं।

'एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट' के तहत रिलीज

ध्यान रहे कि दिवंगत अमेरिकी फाइनेंशियर और सेक्स ट्रैफिकर जेफ्री एपस्टीन की जांच से जुड़े हजारों दस्तावेज, ईमेल, फोटो और अन्य सामग्री को अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट (DOJ) को सार्वजनिक करना था। यह रिलीज 'एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट' के तहत हो रही है, जिसे कांग्रेस ने नवंबर 2025 में पारित किया और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साइन किया। इस कानून के अनुसार, DOJ को 19 दिसंबर तक सभी अनक्लासिफाइड रिकॉर्ड्स जारी करने थे, जिसमें जांच सामग्री, कम्युनिकेशंस और इन्वेस्टिगेटिव फाइल्स शामिल हैं।

क्लिंटन,ट्रंप, एंड्र्यू और बिल गेट्स कनेक्शन

एपस्टीन ने 2019 में जेल में आत्महत्या कर ली थी, लेकिन उन पर नाबालिग लड़कियों की तस्करी और यौन शोषण के गंभीर आरोप थे। उनकी साथी गिस्लेन मैक्सवेल को 2021 में सेक्स ट्रैफिकिंग के लिए 20 साल की सजा हुई। वर्षों से एपस्टीन की हाई-प्रोफाइल दोस्ती 'पूर्व राष्ट्रपतियों बिल क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटेन के प्रिंस एंड्र्यू, बिल गेट्स, वुडी एलन' जैसी हस्तियों के साथ रही।

भारत कनेक्शन की गहराई से जांच

रिपोर्ट के अनुसार एपस्टीन फाइल्स में भारतीय नामों का जिक्र मुख्य रूप से 2014-2019 के पुराने ईमेल और कैलेंडर एंट्रीज से संबंधित है। ये उस समय के मामले हैं, जब भारत-इजराइल संबंध तेजी से मजबूत हो रहे थे, और एपस्टीन इजराइल से जुड़े नेटवर्क में सक्रिय था। कोई नई सनसनीखेज जानकारी 19 दिसंबर की रिलीज में भारत से जुड़ी नहीं निकली है।

इसमें अनिल अंबानी का नाम होने की चर्चा थी

अनिल अंबानी का कनेक्शन सबसे चर्चित है। 2017 में एपस्टीन और अंबानी के बीच ईमेल एक्सचेंज हुए। अंबानी ने मार्च 2017 में एपस्टीन को एक न्यूज आर्टिकल भेजा, जिसमें मोदी की अमेरिका विजिट और ट्रंप से फोन कॉल की बात थी। एपस्टीन ने जवाब दिया कि ये "इंडिया इजराइल की" रणनीति का हिस्सा है। उस समय अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस का इजराइल की राज्य कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स के साथ जॉइंट वेंचर था, यानि करीब 10 बिलियन डॉलर की डील, जिसमें एयर-टू-एयर मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम बनाए जाते। ये डील भारत की बढ़ती सैन्य सहयोग का हिस्सा थी।
एपस्टीन इजराइल इंटेलिजेंस से जुड़े लोगों के संपर्क में था, इसलिए ये ईमेल बिजनेस ब्रोकरिंग लगते हैं।

अंबानी या उनकी कंपनी ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की

ड्रॉप साइट न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ये एक्सचेंज मोदी की जुलाई 2017 इजराइल विजिट से ठीक पहले हुए, जब मोदी पहले भारतीय पीएम बने जो इजराइल गए। अंबानी या उनकी कंपनी ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।

हरदीप सिंह पुरी पहले यूएन एंबेसडर, बाद में मंत्री बने

हरदीप सिंह पुरी का नाम एपस्टीन के प्राइवेट कैलेंडर में कई बार आया – जून 2014 से जनवरी 2017 तक कम से कम पांच अपॉइंटमेंट्स। उस समय पुरी भारत के यूएन एंबेसडर थे और न्यूयॉर्क में रहते थे। ये मीटिंग्स अक्सर नॉर्वेजियन डिप्लोमैट टेरजे रोड-लार्सेन के साथ लिस्टेड हैं, जो एपस्टीन के करीबी थे और मिडिल ईस्ट पीस प्रोसेस में शामिल। पुरी बाद में मोदी सरकार में मंत्री बने (2017 से पेट्रोलियम मिनिस्टर)। सोशल मीडिया पर एक ईमेल वायरल हुआ जिसमें "girls" का जिक्र था, लेकिन वो अलग थ्रेड था – पुरी से जुड़ा नहीं। रिपोर्ट्स कहती हैं कि ये डिप्लोमैटिक या ग्लोबल अफेयर्स की मीटिंग्स थीं, कोई गलत काम का प्रमाण नहीं। पुरी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

कोई बयान या सुबूत सामने नहीं आया

कोई पीड़िता का बयान या अपराध का सुबूत इन नामों से नहीं जुड़ा। विशेषज्ञ कहते हैं कि एपस्टीन का नेटवर्क ग्लोबल था, नाम आना अपराध का प्रमाण नहीं। भारत-इजराइल डिफेंस डील्स उस समय बढ़ रही थीं, ये कनेक्शन उसी बैकग्राउंड से लगते हैं।
एपस्टीन फाइल्स का अमेरिकी बैकग्राउंड जेफ्री एपस्टीन अमीर फाइनेंशियर था, नाबालिगों की तस्करी के आरोप में 2019 में गिरफ्तार हुआ और जेल में आत्महत्या कर ली। उसकी साथी घिस्लेन मैक्सवेल को 20 साल की सजा हुई। एपस्टीन के ट्रंप, क्लिंटन व गेट्स जैसे लोगों से पुराने रिश्ते थे।

कोई नया बड़ा खुलासा नहीं

गौरतलब है कि नवंबर 2025 में कांग्रेस ने 'एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट' पास किया, ट्रंप ने साइन किया। 19 दिसंबर डेडलाइन थी, लेकिन DOJ ने कहा कि पीड़ितों की प्राइवेसी के लिए रेडैक्शन होगा, पूरी रिलीज अगले हफ्तों में होगी। पहले बैच में पुरानी फोटोज, फ्लाइट लॉग्स आदि हैं। कोई 'क्लाइंट लिस्ट' नहीं, जैसा पहले मेमो में कहा गया। हाउस डेमोक्रेट्स ने एस्टेट से 95,000 फोटोज में से बैच रिलीज किए, लेकिन कोई नया बड़ा खुलासा नहीं।

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