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सरदार पटेल की विरासत क्यों अपनाने लगी BJP, बिहार चुनाव में दिख सकता है असर

भाजपा लगातार सरदार पटेल की विरासत अपना बनाने की कोशिश करती है। पटेल की जयंती पर केवडिया में भव्य समारोह का आयोजन किया गया है। संघ को लेकर पटेल ने क्या कहा था और क्या बिहार के चुनाव में दिख सकता है इसका असर पढ़िए पूरी खबर...

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Oct 31, 2025
पीएम मोदी का संबोधन (फोटो-IANS)

Sardar Patel legacy: देश आज पहले उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती मना रहा है। पीएम मोदी (PM Modi) ने गुजरात के केवडिया से देश को संबोधित किया। इस मौके पर भव्य परेड भी निकाली गई। यह सारी कवायद भाजपा द्वारा पटेल की विरासत को पाने की है। यह कोशिशें तब शुरू हुई जब गुजरात में भाजपा की कमान नरेंद्र मोदी ने संभाली थी। वर्ष 2001 से 2014 तक गुजरात के सीएम रहने के दौरान नरेंद्र मोदी ने पटेल की छवि को राष्ट्रवाद और एकता से जोड़ा।

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'पटेल के साथ नेहरू-गांधी परिवार ने की नाइंसाफी'

इसके साथ ही भाजपा और मोदी ने पटेल की छवि को एक ऐसे नेता के रूप में पेश किया, जिसके साथ नेहरू और गांधी परिवार ने किनारा कर लिया हो। भाजपा कई बार इस बात का जिक्र कर चुकी है कि यदि नेहरू की जगह पटेल भारत के प्रधानमंत्री होते तो देश की स्थिति आज की तुलना में कहीं बेहतर होती। भाजपा और नरेंद्र मोदी ने पटेल की पहचान को पहले गुजराती अस्मिता और फिर देश की अखंडता से जोड़ दिया। इसके चलते पटेल जो कि कांग्रेस के नेता थे, उनकी लेगेसी पर बीजेपी दावा करने लगी। मोदी और BJP ने पटेल की इमेज को अपना बनाने के लिए गर्व, नाराजगी और पहचान की चाहत जैसी मजबूत भावनाओं का इस्तेमाल किया।

पूरे कश्मीर को भारत में मिलाना चाहते थे पटेल: मोदी

आज पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सरदार पटेल पूरे कश्मीर को भारत में मिलाना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ऐसा नहीं होने दिया। कश्मीर को अलग संविधान से बांट दिया। कांग्रेस की गलती की आग में देश दशकों तक जलता रहा। केंद्रीय गहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाकर सरदार वल्लभभाई पटेल के एकीकृत भारत के सपने को साकार किया है।

परेड की ली सलामी

PM ने संबोधन से पहले राष्ट्रीय एकता दिवस परेड की सलामी ली। इस दौरान BSF, CISF, ITBP, CRPF, और सीमा सुरक्षा बल की 16 टुकड़ियों ने परेड में हिस्सा लिया। इस परेड में ऑपरेशन सिंदूर में BSF के 16 पदक विजेता और CRPF के 5 शौर्य चक्र विजेता भी शामिल हुए।

RSS और पटेल का संबंध विरोधाभासी

पटेल और संघ की संबंध विरोधाभासी रहे हैं। आज जिस पटेल को भाजपा अपना बता रही है। उसी भाजपा के मातृ संगठन पर 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद तत्काली डिप्टी पीएम सरदार पटेल ने RSS पर बैन लगा दिया था। RSS सुप्रीमो एम.एस. गोलवलकर ने पटेल से बार-बार बैन हटाने की गुजारिश की, लेकिन वह डेढ़ साल तक अड़े रहे। सरदार पटेल ने जुलाई 1949 में बैन हटाया, जब RSS ने हिंसा और सीक्रेट एक्टिविटीज छोड़ने का वादा किया और, इससे भी जरूरी बात, उसने आखिरकार “भारत के संविधान और नेशनल फ्लैग के प्रति लॉयल्टी” का ऐलान किया, जिसका संघ विरोध कर रहा था।

बिहार चुनाव को दिया संदेश

पीएम मोदी भले ही गुजरात के केवडिया में हो, लेकिन उनके बयान के मायने बिहार में भी निकाले जाएंगे। बिहार में कुर्मी जाति के लोग सरदार वल्लभ भाई पटेल से खुद को जोड़ते हैं। इस समारोह के जरिए भाजपा राज्य के लव-कुश को भी संदेश दे रही है। यह NDA वोट बैंक रहा है, लेकिन पिछले कुछ चुनाव में इसमें डेंट लगा है। बीजेपी के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि सरदार पटेल के जरिए उसे बिहार में भी फायदा मिल सकता है। ऐसे में भाजपा एक तीर से कई निशाने साधना चाहती है।

Published on:
31 Oct 2025 12:56 pm
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