भारत निर्वाचन आयोग ने बताया कि 9 अक्टूबर तक मतदाता सूची में विसंगतियों के निवारण के लिए जिलाधिकारियों के समक्ष कोई अपील दायर नहीं की गई है। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने यह जानकारी दी है और बताया है कि विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के दौरान ऐसा हुआ है।
भारत निर्वाचन आयोग ने बताया कि 9 अक्टूबर तक मतदाता सूची में गड़बड़ियों के निवारण के लिए जिलाधिकारियों के समक्ष कोई अपील दायर नहीं की गई है। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सभी निर्वाचन क्षेत्रों का विवरण जारी करते हुए यह जानकारी दी।
आयोग ने एक्स पर लिखा कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान, 2025 के दौरान, सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में निर्वाचक निबंधन अधिकारी द्वारा मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के संबंध में जिलाधिकारियों को कोई अपील प्राप्त नहीं हुई है।
चुनाव आयोग ने 30 सितंबर को बिहार विधानसभा चुनावों के लिए अंतिम मतदाता सूची जारी की थी। इसमें 7।42 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल हैं। जो वोटिंग कर सकते हैं।
उधर, विपक्ष ने बिहार में एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि कई वैध मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं।
इन आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने आदेश दिया कि किसी भी नाम को शामिल करने या हटाने व कोई गड़बड़ी के मामले में संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों के समक्ष अपील कर सकते हैं।
हालांकि, नौ दिनों के बाद भी, किसी भी जिले से कोई अपील प्राप्त नहीं हुई है। बिहार मुख्य चुनाव आयुक्त ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी। बता दें कि चुनाव आयोग ने जून में मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया शुरू की थी।
इस प्रक्रिया से पहले, बिहार में 7।89 करोड़ मतदाता थे। संशोधन के बाद, कुल कई मतदाताओं के नाम हटा दिए गए। उन्हें दावे व आपत्तियां दर्ज कराने के लिए 30 दिन का समय दिया गया।
इससे पहले, चुनाव आयोग ने एक नोट जारी कर कहा था कि जिन लोगों के नाम मतदाता सूची में हैं, वे मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) के अलावा 12 वैकल्पिक फोटो पहचान पत्रों में से कोई भी एक दिखाकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। चुनाव आयोग ने आगे कहा कि वोट डालने के लिए व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में होना अनिवार्य है।