Delhi Crime: दिल्ली में 16 साल की लड़की से बार-बार दुष्कर्म करने और उसे गर्भवती बनाने के मामले में अदालत ने दोषी चाचा को उम्रकैद की सजा सुनाई है। आरोपी लड़की के पिता को जानता था। इसलिए बच्ची उसे अंकल कहती थी।
Delhi Crime: दिल्ली में अदालत ने दुष्कर्म कर 16 साल की किशोरी को गर्भवती बनाने के मामले में मात्र 20 दिन के अंदर फैसला सुनाया है। इसमें आरोपी को उम्रकैद के साथ जुर्माने की सजा सुनाई गइै है। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट की SAJ यानी एडिशनल सेशन जज बबीता पुनिया ने पॉक्सो एक्ट के तहत 45 साल के युवक को दोषी पाया। इसके बाद उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। यह मुकदमा फरवरी 2025 में दिल्ली के निहाल विहार थाने में दर्ज किया गया था। 28 मार्च 2025 को अदालत में केस पहुंचा था। अदालत ने मामले में तेजी से सुनवाई की। पुलिस ने 15 अप्रैल को आरोपी पर दोष सिद्ध कर दिया। इसके बाद अदालत ने आरोपी को उम्रकैद की सजा के साथ पीड़िता को 19.5 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया।
दरअसल, 16 साल की किशोरी से रेप कर उसे गर्भवती बनाने का मामला 25 फरवरी 2025 को उस समय सामने आया था। जब किशोरी को पेट दर्द के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया था कि किशोरी को प्रसव पीड़ा (Labor Pain) हो रहा था। इस दौरान किशोरी ने अस्पताल में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था। उसे रेप कर गर्भवती बनाने का आरोपी किशोरी के पिता को जानता था। इसलिए किशोरी उसे अंकल कहती थी। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट की एडिशनल सेशन जज बबीता पुनिया ने 16 अप्रैल को सुनाए फैसले में कहा "पॉक्सो की धारा 6 के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी को सश्रम आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई जाती है। जिसका अर्थ है उसके शेष पूरे जीवनकाल तक जेल में रहने के साथ ही 10,000 रुपये का जुर्माना भी भरना होगा।"
16 साल की किशोरी से रेप कर उसे गर्भवती बनाने के आरोपी को सजा सुनाते समय अदालत ने कहा "दोषी 45 साल का था। जबकि लड़की ने जब बच्चे को जन्म दिया तो वह मात्र 16 साल की थी। इसका मतलब यह है कि आरोपी ने अपने से 30 साल छोटी बच्ची का यौन उत्पीड़न किया। पीड़िता और आरोपी की तुलनात्मक आयु निश्चित रूप से एक गंभीर कारक है।"
तीस हजारी कोर्ट ने आगे कहा "दोषी ने एक मासूम और कमजोर बच्ची को अपनी हवस मिटाने के लिए शिकार बनाया। आरोपी ने बार-बार उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। इस दौरान बार-बार दुष्कर्म से वह गर्भवती हो गई। इसके चलते मासूमियत की उम्र में पीड़िता को प्रसव पीड़ा जैसे गंभीर दर्द से गुजरना पड़ा। मेरे मन में इस बात को लेकर कोई शक नहीं है कि पीड़ित बच्ची ने बहुत ही भयानक दर्द सहा होगा।"
दुष्कर्म के मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत ने पीड़िता को 19.5 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा "दोषी के आचरण के कारण उसे मानसिक पीड़ा और पीड़ा हुई होगी और शायद अभी भी हो रही होगी। हालांकि पीड़िता के कष्ट की भरपाई आर्थिक रूप से नहीं की जा सकती, फिर भी इससे उसे खुद को कौशल या शिक्षा से लैस करने में मदद मिलेगी, जिससे उसे कुछ हद तक स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इस प्रकार वह वह मानसिक क्षति के मद में 2,00,000 रुपये और गर्भावस्था के मद में 4,00,000 रुपये पाने की भी हकदार होगी।''