एसबीआइ की रिसर्च टीम ने टाई के रंगों को पिछले आरबीआइ गवर्नर के फैसलों को जोडकऱ एक दिलचस्प रिपोर्ट पेश की है
नई दिल्ली. देश की मौद्रिक नीति में ब्याज दरों का निर्धारण खास अहमियत रखता है। लेकिन यदि यह निर्णय जटिल आर्थिक मॉडल और गहन अध्ययन की बजाय आरबीआइ गवर्नर की टाई के रंग से तय होने लगे तो? सुनने में यह जरूर अजीब लग सकता है, लेकिन एसबीआइ की रिसर्च टीम ने टाई के रंगों को पिछले आरबीआइ गवर्नर के फैसलों को जोडकऱ एक दिलचस्प रिपोर्ट पेश की है। टीम ने लिखा है कि आरबीआइ गवर्नर की नेकटाई का रंग स्प्रेडशीट से ज्यादा बोल सकता है। इतना ही नहीं यह आगामी मौद्रिक नीति और निर्णयों का संकेत भी दे सकता है। रिसर्च रिपोर्ट की शुरुआत में ही एसबीआइ की टीम ने लिखा, ‘एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें, जहां ब्याज दरें आर्थिक मॉडलों, निर्देशों या बड़े आर्थिक संकेतकों से निर्धारित न होकर आधी रात के ट्वीट, व्यक्तिगत समीकरण और संभवत: टाई के रंग से निर्धारित हो। इसके बाद रिसर्च टीम ने पता लगाया कि गवर्नर के भाषणों के कुछ शब्द और टाई का रंग कैसे नीतिगत बदलाव और रेपो दरों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि रिसर्च टीम ने रिपोर्ट में साफ लिखा है कि इसे हल्के फुल्के अंदाज में लिया जाना चाहिए।
प्रकृति के अनुरूप रंगों का वर्गीकरण
गर्म : लाल, पीच, नारंगी
-ये हॉकिश माने गए, यानी गवर्नर ने जब ऐसे रंग की टाई पहनी तो ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना ज्यादा थी।
ठंडा : नीला, एक्वा
-ये तटस्थ स्थिति को दर्शाते हैं। यानी ऐसी टाई से रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं होने की संभावना।
गहरा : काला, नेवी
-निर्णायक फैसलों का संकेत। जैसे हाल ही आरबीआइ गवर्नर ने 50 आधार अंकों की कटौती का कदम उठाया गया।
मिश्रित : बैंगनी, पीला
-ये रंग सबसे कम पूर्वानुमान के योग्य माना गया है। यानी इन रंगों के परिणामों में भिन्नता पाई गई।
रंगों से निरंतरता और झुकाव भी
एसबीआइ की रिसर्च टीम ने टाई वोलेटिलिटी और टिल्ट इंडेक्स यानी टाई अस्थिरता और झुकाव सूचकांक भी पेश किया। यह निरंतरता और आर्थिक फैसलों को लेकर झुकाव को इंगित करता है। उच्च स्कोर से पता चलता है कि रंग विश्वसनीय संकेत भेजता है। मसलन, लाल और कोरल टाई हॉकिश की ओर झुकी हुई थी, जबकि हल्के नीले रंग में लगातार कोई बदलाव नहीं हुआ।