जानलेवा बीमारी की पहचान और इलाज में मिलेगी मदद
न्यूयॉर्क. कैंसर के कारणों में जेनेटिक्स और लाइफस्टाइल जैसे फैक्टर्स शामिल होने से इसके खतरे के बारे में पहले से अनुमान लगाना मुश्किल माना जाता था। अमरीकी वैज्ञानिकों के एक नए शोध में पता चला है कि किसी व्यक्ति के जन्म से पहले ही मालूम किया जा सकता है कि उसमें कैंसर का कितना खतरा है।
नेचर कैंसर जर्नल में छपे शोध के मुताबिक वैज्ञानिकों ने दो अलग-अलग एपिजेनेटिक कंडिशंस की पहचान की है, जो व्यक्ति में कैंसर के खतरे के संकेत हो सकती हैं। ये एपिजेनेटिक्स व्यक्ति में शुरुआती स्टेज में ही विकसित हो जाते हैं। एपिजेनेटिक से जेनेटिक एक्टिविटीज को डीएनए में बदलाव किए बगैर कंट्रोल किया जाता है। शोध के निष्कर्ष के मुताबिक इनमें से एक कंडिशन कैंसर के खतरे को कम करती है, जबकि दूसरी खतरा बढ़ा देती है। यह शोध कैंसर की जल्दी पहचान और इलाज में अहम साबित हो सकता है।
कम और ज्यादा रिस्क
मिशीगन के वैन एंडेल इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं का कहना है कि कम रिस्क वाली कंडिशन में व्यक्ति में ल्यूकेमिया या लिंफोमा जैसे लिक्विड ट्यूमर होने का खतरा ज्यादा होता है। ज्यादा रिस्क वाली कंडिशन में लंग या प्रोस्टेट कैंसर जैसे सॉलिड ट्यूमर होने का खतरा बढ़ जाता है।
चूहों पर किया प्रयोग
शोध में चूहों पर प्रयोग से पता चला कि ट्रिम-28 जीन के नीचे स्तर वाले चूहों में कैंसर से जुड़े जीन्स पर एपिजेनेटिक मार्कर दो अलग-अलग पैटर्न में पाए गए। ये पैटर्न शुरुआती स्टेज में ही विकसित हो जाते हैं। हर असामान्य कोशिका कैंसर में नहीं बदलती, लेकिन इससे खतरा जरूर बढ़ जाता है।