- थोक में 380 रुपए किलो गोला, 40 रुपए तक बिक रहा नारियल - दक्षिण भारत प्रमुख नारियल उत्पादक, पैदावार प्रभावित से आया असर
रक्षाबंधन का पर्व करीब आने के साथ ही बाजार में नारियल और किशमिश के दाम बेकाबू हो रहे हैं। रक्षाबंधन और जन्माष्टमी जैसे त्योहारों से पहले तेजी से बढ़े इनके दामों ने आमजन की जेब पर असर डालना शुरू कर दिया है। व्यापारियों के अनुसार गत अप्रेल तक थोक में नारियल की बोरी करीब 2100 रुपए में मिलती थी। यह अब बढ़कर 3500 रुपए हो गई। इसी तरह थोक में सूखा गोला बढ़कर 380 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया। फुटकर बाजार में गोला 400 से 500 रुपए किलो तक बिक रहा जबकि एक नारियल की कीमत 35 से 40 रुपए तक जा पहुंची है। पूजा-पाठ में उपयोग होने वाला यह आवश्यक सामान अब मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए भी सोच समझकर खरीदने वाली चीज बन चुका है।
पैदावार हुई प्रभावित तो बढ़े दाम
दक्षिण भारत के प्रमुख नारियल उत्पादक राज्यों में नारियल की पैदावार प्रभावित होने से इसका सीधा असर नारियल से जुड़े सभी उत्पादों खोपरा, बुरादा और नारियल फल के भावों में तेजी के रूप में सामने आया है। वहीं उत्तर भारत में सूखा नारियल व खोपरे का बुरादा मिठाई और पूजा सामग्री के रूप में बिकता है। बरसात के मौसम में नारियल की आमद बढ़ने की उम्मीद रहती है। इस बार उत्पादन कम होने से मांग के अनुपात में आपूर्ति घटी है। खोपरे से बनने वाली मिठाइयों जैसे लड्डू, बर्फी व अन्य पारंपरिक उत्पादों की लागत में भारी बढ़ोतरी हो रही है। इससे मिठाइयों की कीमतों में इजाफा हो रहा है।
पूजा की थाली में जरूरी
राखी के अवसर पर पूजा की थाली में नारियल को जरूरी माना जाता है। बहनें भाई की आरती में नारियल जरूर रखती हैं, लेकिन इस बार महंगाई ने उन्हें भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। ग्राहकों का कहना है कि इस बार पूजा की सामग्री तक महंगी हो गई है। व्यापारी दिनेश पटवारी ने बताया कि पहले जो किशमिश 300 रुपए प्रति किलो थी, वह अब 500 से 550 रुपए तक बिक रही है। अच्छी क्वालिटी की किशमिश 600 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुकी है। इस बार दक्षिण भारत से नारियल की आपूर्ति समय पर नहीं हो पाई। ऊपर से बारिश और ट्रांसपोर्ट खर्चों में इजाफे ने थोक कीमतें दोगुनी कर दी है।