ग्वालियर। शहर का चिल्ड्रन पार्क अब भी बदहाली से जूझ रहा है। लंबे समय तक बंद रहने के बाद जब गेट का ताला खोला गया तो उम्मीद जगी थी कि पार्क फिर से गुलजार होगा, लेकिन हालात नहीं बदले। सफाई महीनों से नहीं हुई, बेंचों पर मोटी धूल और मकड़ी के जाले लिपटे हैं। नतीजा यह कि लोग पार्क में कदम रखते ही लौट जाते हैं।
बेंचों पर जाले, धूल का अंबारहालत देखकर लोग लौट जाते हैं
ग्वालियर। शहर का चिल्ड्रन पार्क अब भी बदहाली से जूझ रहा है। लंबे समय तक बंद रहने के बाद जब गेट का ताला खोला गया तो उम्मीद जगी थी कि पार्क फिर से गुलजार होगा, लेकिन हालात नहीं बदले। सफाई महीनों से नहीं हुई, बेंचों पर मोटी धूल और मकड़ी के जाले लिपटे हैं। नतीजा यह कि लोग पार्क में कदम रखते ही लौट जाते हैं।
पार्क की देखरेख करने वाले चौकीदार हाकिम बघेल बताते हैं कि उन्हें केवल निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। “सफाई कर्मी कब आया था, याद नहीं,” उन्होंने कहा। आठ घंटे की शिफ्ट में वे अकेले ही रहते हैं, रात में नशेड़ी घुसने की कोशिश करते हैं। कई बार कहने के बाद भी दूसरा चौकीदार नहीं लगाया गया।
बच्चे अब नहीं आते
सुबह कुछ लोग टहलने पहुंचते हैं, लेकिन बच्चों की चहल-पहल लगभग गायब है। बच्चों के लिए लगी मिनी ओपन जिम और झूले भी धूल और जालों से ढके पड़े हैं।
डेढ़ करोड़ खर्च, पर मेंटेनेंस शून्य
करीब 1.5 करोड़ रुपए की लागत से इस पार्क को महानगरों की तर्ज पर बनाया गया था। करीब दस बेंचों में से सिर्फ दो ही साफ हैं, जिन्हें चौकीदारों ने खुद झाड़-पोंछकर उपयोग लायक बनाया है। बाकी पर इतनी धूल जमी है कि बैठना मुश्किल है।
नगर निगम का जवाब
चिल्ड्रन पार्क की स्थिति सुधारने के निर्देश दिए गए हैं। निरीक्षण जारी है और सफाई जल्द कराई जाएगी।
अमरसत्य गुप्ता, उपायुक्त, नगर निगम