इंदौर. पुराने जमाने में घर परिवार के किसी भी सदस्य को कोई तकलीफ होती थी पूरा परिवार पास में खड़ा होता था। उपभोक्तावाद ने हमारी संवेदनाओं को लील लिया है। लोगों के पास समय ही नहीं है, उसे अपने मतलब से मतलब है बाकी किसी से कोई मतलब नहीं। एक बार अरबपति सज्जन ने कहा […]
इंदौर. पुराने जमाने में घर परिवार के किसी भी सदस्य को कोई तकलीफ होती थी पूरा परिवार पास में खड़ा होता था। उपभोक्तावाद ने हमारी संवेदनाओं को लील लिया है। लोगों के पास समय ही नहीं है, उसे अपने मतलब से मतलब है बाकी किसी से कोई मतलब नहीं। एक बार अरबपति सज्जन ने कहा कि मेरे तीनों बेटे अलग-अलग मकानों में रहते है। मैं और मेरी पत्नी अलग मकान में रहते है। आज मेरे पास सब कुछ होते हुए भी कुछ भी नहीं है। काश मैंने अपने बच्चों को संपत्ति के साथ संस्कार भी दिए होते तो मुझे यह दिन देखना नहीं पढ़ते। उक्त विचार मुनि प्रमाण सागर ने अपने प्रवचन में कही।
धर्म प्रभावना समिति एवं प्रचार प्रमुख राहुल जैन ने बताया कि शनिवार को इंजीनियर्स के ग्रुप के लिए शाम को 6 बजे शंका-समाधान कार्यक्रम किया गया। वहीं 8 से 17 सितंबर तक दशलक्षण महापर्व प्रारंभ होंगे। इस अवसर पर श्रावक संस्कार शिविर का आयोजन रेसकोर्स रोड़ स्थित मोहता भवन में किया जाएगा। दशलक्षण पर्व में प्रवचन समय 8.45 से 10 बजे तक होगा।
----शंका समाधान कार्यक्रम-
सवाल: अरुण जैन- समय और समझ के बीच कैसे सामंजस्य बिठाए?
जवाब: समय और समझ दोनों किस्मत वालों को मिलती है। जिन्होंने समय का उपयोग किया और जिन्होंने समय को खोया उनसे हम समझ लेना चाहिए। इसके बाद हमारे पास समय भी रहेगा और समझा भी रहेगी।
सवाल: रेखा जैन- शास्त्रों में आहार दान की सबसे ज्यादा महीमा क्यों बताई जाती है?
जवाब: आहार दान देने में सभी दान पूरे हो जाते है। पेट भरा रहे तो सब कुछ ठीक रहता है। आहार देंगे तो सभी दान की पूर्ति हो जाती है। इसलिए आहार दान को इतनी महत्ता दी जाती है।
सवाल: राजकुमार काला- आज की टेक्नोलॉजी के लिए हम इंजीनियरों पर गर्व करते है। ऐसे ही क्या पुराने समय में भी ऐसी कोई टेक्नोलॉजी थी।
जवाब: वर्तमान युग विज्ञान का नहीं टेक्नोलॉजी का है। विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है। इसी तरह पुराने ग्रंथों और शास्त्रों में देखते है तो हमारे पास विज्ञान और टेक्नोलॉजी थी। हम जानते है कि पुष्पक विमान रावण उड़ाता था। यह हमारे प्राचीन काल से है लेकिन इसे संत महात्माओं ने महत्व नहीं दिया। इसलिए हमें जानकारी नहीं मिली।
सवाल: सोमेश बांझल- सड़क हादसों में हर साल लाखों लोग मरते है। इसे कैसे रोका जा सकता है।
जवाब: एक बार ऑस्ट्रेलिया के एक युवक ने कहा कि भारत में सड़क दुर्घटना में जितने लोगों की प्रतिदिन मौत होती है। उससे कई गुना कम लोगों की मौत आस्ट्रेलिया में होती है। इसका कारण है वहां लोग सुरक्षा के प्रावधानों का पालन करते है। भारत में ऐसा नहीं है।
सवाल: मनोज बाकलीवाल- हमें जो भी वैभव मिला है वह पुण्यों से मिला है तो वर्तमान में हमें पुरुषार्थ करना चाहिए या नहीं।
जवाब: पुण्य के योग से आपने वैभव को पाया यह अच्छी बात है, लेकिन पुण्य से प्राप्त वैभव को पुण्य काम में ही लगाना चाहिए। वैभव का भोग करोगे तो पाप होगा और उपयोग करोगे तो पुण्य का संचार होगा। इसी तरह पुण्य वैभव के साथ गुण वैभव को भी बढ़ाना चाहिए।