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किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 56 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (26 नवंबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 56 में भेजी गई कहानियों में ये कहानियां सराहनीय रही हैं।

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 56 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (26 नवंबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 56 में भेजी गई कहानियों में ये कहानियां सराहनीय रही हैं।

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Dec 05, 2025
किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 56 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (26 नवंबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 56 में भेजी गई कहानियों में ये कहानियां सराहनीय रही हैं।

मैदान में रॉकेट का मजा
अंकिता, उम्र 12 वर्ष
टिम और एमा मैदान में गए एक टॉय रॉकेट लेकर। टिम ने हॉर्न बजाया। वूश…. कर रॉकेट आसमान में उड़ गया। एमा ने ताली बजाई। उनके पास एक बड़ा बॉक्स था जिसमें और भी रॉकेट थे। टिम और एमा ने एक-एक करके रॉकेट उड़ाए। मैदान में खुशियां भर गईं। उनकी हंसी और मजे को देखकर आसपास के पक्षी भी गाने लगे। टिम और एमा की दोस्ती मजबूत हो गई। उनकी दोस्ती बहुत प्यारी है। टिम और एमा खुश हैं कि वे दोनों अच्छे दोस्त हैं और हमेशा साथ खेलते हैं। वह बहुत खुश हैं और उनकी दोस्ती इसी तरह हमेशा रहेगी।

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दोस्त का जन्मदिन
उदित राज सिंह कानावत, उम्र 6 साल
एक बार एक गांव में राजू और मीना नाम के दो बच्चे रहते थे। उन दोनों की काफी गहरी दोस्ती थी। राजू एक अमीर परिवार का लड़का था। हर वर्ष उसका जन्मदिन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता था। मीना एक गरीब परिवार की लड़की थी। उसने अपना जन्मदिन कभी भी नहीं मनाया था। वह बहुत उदास हो चुकी थी, क्योंकि इस बार भी उसका जन्मदिन मनाने वाला कोई नहीं था। उसकी उदासी को देखकर राजू के दिमाग में एक आइडिया आया। उसने सोचा क्यों ना इस बार मीना का जन्मदिन भी मनाया जाए। वह मीना के जन्मदिन पर बहुत सारे उपहार लाया। चॉकलेट, खिलौने लाया और उसने मीना को सरप्राइज दिया। मीना बहुत खुश इसलिए हुई क्योंकि उसके दोस्त ने उसका जन्मदिन इतने अच्छे से मनाया है। सच्चे दोस्त इसी तरह एक दूसरे की खुशियों का ध्यान रखते हैं।

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शोरगुल मचाती जन्मदिन की टोपी
पलक थाकरे, उम्र 11 वर्ष
एक छोटे से शहर में रिया और अर्णव नाम के दो चंचल बच्चे रहते थे। रिया थोड़ी जिद्दी थी और अर्णव बहुत ही शरारती। आज उनका सबसे प्यारे दोस्त साहिल का जन्मदिन था। वे पार्टी करने के लिए पूरी तरह से तैयार थे। रिया ने एक नारंगी रंग का फ्रॉक और अपने सिर पर एक मजेदार टोपी पहनी हुई थी। वह उस टोपी को सबसे अच्छा मानती थी और चाहती थी कि पार्टी में सबकी नजर पर रहे। वहीं, अर्णव ने अपनी गुलाबी स्वेटशर्ट और नीले शॉर्ट्स के साथ एक छोटी-सी टोपी पहनी थी। अर्णव का ध्यान टोपी पर कम और जोरदार आवाज निकालने वाली तुरही (पिपोरा) पर ज़्यादा था। पार्टी शुरू होने से ठीक पहले, दोनों जमीन पर रखे पार्टी के सामान, जैसे एक बड़ी टोपी, कुछ छोटे उपहार और तुरही के पास खड़े थे। अर्णव ने अपनी तुरही ली और सोचा कि क्यों न रिया को थोड़ा चिढ़ाया जाए। "पों! पों!" करते हुए अर्णव ने रिया के कान के पास जोर से तुरही बजाई। रिया, जो पहले से ही अपनी टोपी को ठीक कर रही थी, अचानक इस ज़ोरदार आवाज से चौंक गई। वह तुरंत अर्णव की ओर मुड़ी और अपने कान पर हाथ रखकर चिल्लाई, "अर्णव! यह क्या है! कितनी ज़ोर की आवाज़ है! मुझे लगा मेरे कान का पर्दा फट जाएगा!" अर्णव शरारत भरी मुस्कान के साथ हंस पड़ा। उसने फिर से तुरही बजाने की कोशिश की, लेकिन इस बार रिया ने उसे पहले ही पकड़ लिया। दोनों शोरगुल और हंसी-मजाक में उलझ गए। तभी, साहिल की मां आईं और बोलीं, "अरे मेरे शरारती बच्चों! पार्टी के लिए इतनी बेचैनी? जन्मदिन का केक आ गया है! चलो, अब यह शोरगुल छोड़ो और अंदर आकर मजा करो!" रिया और अर्णव दोनों ही एक-दूसरे को देखकर हँसे और तुरंत सारे खेल-सामान छोड़कर केक की ओर भागे। उन्हें पता था कि असली मज़ा अब शुरू होने वाला था, जहाँ वे दोनों मिलकर ढेर सारी मस्ती करने वाले थे।

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जादूगर टोपी और एक अनोखी धुन
सिद्धार्थ पटेल, उम्र 13 वर्ष
एक बार की बात है, दो दोस्त थे- टिंकू और मिंकू। गर्मी की छुट्टियों में एक शाम वे अपने घर के बगीचे में खेल रहे थे। टिंकू ने लाल रंग की, अजीब सी टोपी पहन रखी थी, जिस पर झालर लगी थी। मिंकू के हाथ में एक छोटा, चमकदार दूरबीन जैसा पाइप था। वे अक्सर नए-नए खेल खेलते रहते थे। उस दिन उन्होंने "जासूस और जादूगर" का खेल खेलने का फैसला किया। टिंकू जादूगर बन गया और मिंकू जासूस। टिंकू ने अपनी जादूगर टोपी को हवा में उछालकर कहा, "अब देखो मेरा जादू!" मिंकू ने तुरंत अपना पाइप उठाया और उसे दूरबीन की तरह आंख पर लगाया, जैसे वह कुछ जासूसी कर रहा हो।
अचानक, मिंकू के पाइप से एक अजीब सी, लेकिन मजेदार धुन निकलने लगी – "पीं, पीं, पूं, पूं!" यह सुनकर टिंकू हैरान हो गया। उसे लगा कि टोपी ने सच में जादू कर दिया है। धुन इतनी मजेदार थी कि वे दोनों नाचने लगे। हंसते-हंसते लोटपोट हो गए। तभी, पास की झाड़ी में से एक नन्हा खरगोश निकलकर आया। वह भी उस धुन को सुनकर मजे से अपने कान हिलाने लगा। टिंकू और मिंकू को यह देखकर और भी हंसी आ गई। उस दिन बगीचे में खूब धमाल मचा। वे समझ गए कि जादू टोपी में नहीं, बल्कि उनकी दोस्ती और साथ खेलने के उत्साह में था। उस शाम उन्होंने बिना किसी चिंता के खूब मस्ती की और उस मजेदार धुन को अपनी छुट्टियों की निशानी बना लिया। यह छुट्टियां उन्हें हमेशा याद रहेंगी क्योंकि उन्होंने एक साधारण खेल को अपने अनूठे अंदाज से मजेदार बना दिया। वे हर शाम उस धुन के साथ खूब नाचते और गाते। उनकी दोस्ती और भी गहरी हो गई। सही कहते हैं, खुशियां ढूंढने से नहीं, बनाने से मिलती हैं।

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असली खुशी
रिशिता टहलयानी, उम्र 10 वर्ष
एक गांव था वहां पर एक मैदान था वहां। पर एक माली काम करता था उसके दो बच्चे थे वह हमेशा चुप रहते थे, क्योंकि उनके पास कोई दोस्त और कोई खिलौने नहीं थे। उसी मैदान के पास कुछ घर थे। वहां के बच्चे रोज मैदान में खेलने आते थे। एक दिन उन दो चुप बच्चों को देखकर उन्होंने सोचा कि वह उन्हें कुछ उपहार दें। अगले दिन जब माली के बच्चे उठे तो उन्हें मैदान में एक डब्बा देखा उस डब्बे में उनके लिए बहुत सारे खिलौने और चॉकलेट्स थे। वे बहुत खुश हुए। और खेलने लगे। उन्हें खेलते देख वह बच्चे बहुत खुश हुए।

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बचपन का दोस्त
वंशिका मान, उम्र 10 वर्ष
एक समय की बात है। चार्वी और चार्विक दो दोस्त थे। चार्विक हमेशा चार्वी को परेशान करता था, लेकिन चार्वी कभी भी बुरा नहीं मानती थी। जब दोनों 11 साल के हो चुके थे। चार्वी दुखी मन से बोली की “चार्विक मेरे पक्के दोस्त, मेरे पापा का ट्रांसफर शहर से बाहर हो गया। वे दोनों बहुत दुखी हो गए। कुछ सालों बाद चार्वी अपना पुराना घर देखने आई, तभी अचानक पीछे से चार्विक ने उसके कान में जोर से भोंपू बजाया और चार्वी ज़ोर से उछली। उसका बचपन का दोस्त आज भी उतना ही शरारती था।

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रेमा और केशा
रेयांशी जांगिड़, उम्र 7 वर्ष

रेमा और केशा जुड़वां बहनें थीं। दोनों साथ साथ रहती थीं। एक बार रेमा नानी घर चली गई, तो केशा को रेमा की बहुत याद आने लगी वह बहुत उदास रहने लगी। उसका मन बहलाने के मम्मा उसको पार्क में ले जाती और खिलौनों से खिलाती। केशा हमेशा की तरह पार्क में खेल रही थी, तो उसके मामा जी रेमा को लेकर आए। रेमा ने चुपके से जाकर केशा के कान में भोंपू बजाया। केशा एक बार तो चौंकी और रेमा को देखकर वह बहुत खुश हुई। दोनों बहनें पार्क में साथ खेलने लगीं और खूब मस्ती करने लगी।
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मेले के खिलौने और शिक्षा

थिया, उम्र 10 वर्ष
एक गांव में मेला लगता है, जिसमें गांव वाले बढ़—चढ़कर भाग लेते हैं। गांव के लुकु और सिया नाम भी अपनी—अपनी मां के साथ मेला देखने जाते हैं। वहां से बहुत सारे खिलौने खरीद कर लाते हैं। जिसमें लुकु भोंपू और सिया गुड़िया के साथ खेलने लग जाते हैं। अचानक लुकु सिया के कान में तेज भोंपू बजाने लगता है। भोंपू की तेज आवाज सुनकर सिया डर जाती और रोने लगती है। उसकी आवाज सुनकर उन दोनों की मां घर से बाहर आकर देखती हं, तो लुकु सिया के कान में भोंपू बजा रहा होता है। दोनों की मां उनको बुला कर बोलती है कि बेटा उसके कान में भोंपू मत बजाओ। तेज आवाज से उसके कान के पर्दे फट जाएंगे। तुम दोनों एक बात हमेशा याद रखना कभी भी कान में तेज आवाज नहीं करना और आंख, नाक में नुकीली चीज नहीं डालनी चाहिए, वरना परेशानी हो जाएगी। तो बच्चे बोलते हैं, ठीक है मां। हम आज के बाद ऐसा कभी भी नहीं करेंगे और अपने विद्यालय में बच्चों को भी ये सब नहीं करने के लिए बोलेंगे। दोनों की मां खुश होकर अपने अपने घर वापस चली जाती है।

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पार्क में मिला खज़ाना
जाग्रव पांड्या, 10 वर्ष
​शाम ढल रही थी और पार्क में हल्की-हल्की हवा चल रही थी। रोहन और चिंकी खेलते-खेलते पार्क के उस कोने में पहुंच गए जहां आमतौर पर कम ही बच्चे जाते थे। ​वहां पहुंचते ही चिंकी की आंखें चमक उठीं। "अरे रोहन, देखो! यहां तो पार्टी का खज़ाना है!" उसने घास पर पड़ी चीज़ों की तरफ इशारा किया। लगता था कल रात यहां किसी ने जन्मदिन मनाया था और अंधेरे में अपना कुछ सामान भूल गए थे। चिंकी ने तुरंत ज़मीन पर पड़ी एक लाल रंग की मखमली टोपी उठाई और अपने सिर पर पहन ली। वह एक राजकुमारी की तरह इठलाने लगी। तभी रोहन को पास ही एक गत्ते का खुला डिब्बा दिखाई दिया। उसमें कुछ बिना चले हुए पटाखे, अनार और एक बड़ा सा पार्टी हॉर्न (भोंपू) रखा था। ​रोहन को एक शरारत सूझी। उसने दबे पांव भोंपू उठाया। चिंकी अपनी टोपी ठीक करने में मग्न थी। रोहन चुपके से उसके पीछे गया और उसके कान के पास ले जाकर पूरी ताकत से भोंपू बजा दिया—"पींऽऽऽऽ!"। ​अचानक हुई तेज़ आवाज़ से चिंकी बुरी तरह चौंक गई। उसने घबराकर अपने दोनों कान बंद कर लिए और गुस्से से पीछे मुड़ी। "रोहन! यह क्या बदतमीज़ी है? मेरे कान सुन्न हो गए!" वह चिल्लाई। ​रोहन, जो पहले हंसने वाला था, चिंकी का गुस्सा देखकर डर गया। उसने तुरंत भोंपू नीचे किया और बोला, "सॉरी चिंकी! मैं तो बस मज़ाक कर रहा था। मुझे नहीं पता था कि इसकी आवाज़ इतनी तेज़ होगी।" ​चिंकी ने उसे घूरकर देखा, लेकिन फिर उसकी डरी हुई सूरत देखकर उसे भी हंसी आ गई। उसने कहा, "ऐसी हरकत फ़िर मत करना। चलो, देखते हैं डिब्बे में और क्या-क्या है।" दोनों फिर उस 'खज़ाने' को टटोलने में लग गए।
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भाई—बहन का प्यार
शुभी अग्रवाल, 7 वर्ष
पिंकी अपने दसवें जन्मदिन पर बहुत खुश थी। सुबह जल्दी उठकर, नए कपड़े पहनकर सुंदर तैयार हो गई थी। उसने अपने पापा मम्मी का आशीर्वाद लिया। उसके मम्मी पापा ने टॉफी और पटाखों से भरा एक बॉक्स तोहफे में दिया, जिसे लेकर वो बहुत खुश थी। पिंकी अपने दोस्तों के साथ जन्मदिन मनाने घर से निकल रही थी,घर के बाहर उसका छोटा भाई बंटी ​छिपा हुआ था, जो उसे जन्मदिन पर सरप्राइज़ देना चाहता था। पिंकी को देखते ही बंटी अपने भोंपू से उसके कान में जोर से चिल्लाया हैप्पी बर्थडे दीदी….. पिंकी अपनी धुन में मस्त थी, इसलिए सकपका गई और उसके हाथ से बॉक्स जमीन पर गिर गया। सारी टॉफियां और पटाखे बिखर गए। बंटी ने टॉफियां समेटने में पिंकी की मदद की, दोनों ने एक—दूसरे को गले लगाया। दोनों ने पटाखे चलाए और खुशी से पिंकी का जन्मदिन मनाया।

Published on:
05 Dec 2025 02:59 pm
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