विरोध को देखते हुए कई नेता तो घर पर ही रहना मुनासिब समझ रहे हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव की गतिविधियां शुरू से अब तक करीब दो दर्जन से अधिक दिग्गजों ने दबबदल किया है
रायपुर.लोकसभा चुनाव के बीच नेताओं द्वारा दलबदल भी किया। दूसरी पार्टी के शामिल होने के बाद वे प्रत्याशी के समर्थन में अपने-अपने क्षेत्र में प्रचार में लग गए हैं। लेकिन खासकर जिस पार्टी को छोड़कर आए उसके कार्यकर्ताओं द्वारा प्रचार के दौरान जमकर विरोध का भी सामना करना पड़ा है। साथ ही क्षेत्र के लोगों को भी समझाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। विरोध को देखते हुए कई नेता तो घर पर ही रहना मुनासिब समझ रहे हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव की गतिविधियां शुरू से अब तक करीब दो दर्जन से अधिक दिग्गजों ने दबबदल किया है। उनके कार्यकर्ताओं को मिलाकर संख्या करीब 10 से 15 हजार हैं।
दलबदल करने वाले नेताओं का सामाजिक स्तर पर भी अंदर ही अंदर विरोध हो रहा है। साथ ही सामाजिक कार्यक्रमों से भी उनसे दूरी बनाने लगे हैं। सामाजिक के प्रमुख लोगों द्वारा स्पष्ट हिदायत दी जा रही है, जब जिस पार्टी ने मान-सम्मान और पद दिया था, तब बड़े रुतबे से पार्टी का गुणगान गाते थे। अब उसी पार्टी को खराब बताया जा रहा है। ऐसे दलबदल करने वाले नेताओं को समाज से दूरी ही बनाएं रखें तो अच्छा होगा। जो व्यक्ति मान-सम्मान देने वाली पार्टी का नहीं हो सका, वो समाज का क्या होगा। वहीं कुछ ऐसे नेताओं का भी सामाजिक स्तर पर विरोध किया जा रहा है, जिन्होंने पार्टी में रहने के बावजूद समाज के लोगों के लिए कुछ नहीं किया।
जिन नेताओं ने दलबदल करने के बाद जिस पार्टी में शामिल हुए हैं, उनके प्रत्याशी के प्रचार के दौरान उनके समर्थकों द्वारा कई बार पुरानी पार्टी के जिंदाबाद के नारे भी लगा दिए जा रहे हैं। क्योंकि पिछले कई सालों से एक ही पार्टी जिंदाबाद के नारे लगाते आ रहे थे, ऐसे में प्रचार के दौरान उसी पार्टी के नारे ही मुंह से निकल जा रहे हैं। ऐसे में दलबदल कर प्रचार करने वाले नेताओं को फजीहत का सामना करना पड़ रहा है।