जेन-जेड का नेतृत्व: नेपाल में मौजूदा विरोध प्रदर्शन सोशल मीडिया बैन से भड़के, लेकिन जड़ें भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, बेरोजगारी और बड़े पैमाने पर पलायन जैसे मुद्दों में गहराई से जुड़ी हैं। ओली का इस्तीफा: हालात बिगड़ने पर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पद छोड़ दिया। विरोध का समय अहम माना जा रहा है क्योंकि ओली हाल […]
जेन-जेड का नेतृत्व: नेपाल में मौजूदा विरोध प्रदर्शन सोशल मीडिया बैन से भड़के, लेकिन जड़ें भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, बेरोजगारी और बड़े पैमाने पर पलायन जैसे मुद्दों में गहराई से जुड़ी हैं।
ओली का इस्तीफा: हालात बिगड़ने पर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पद छोड़ दिया। विरोध का समय अहम माना जा रहा है क्योंकि ओली हाल ही में चीन से लौटे थे।
हिंसा और मौतें: सोमवार को हुए प्रदर्शनों में 20 से अधिक लोगों की मौत हुई। स्कूल यूनिफॉर्म पहने छात्र भी सुरक्षा बलों से भिड़े और राजधानी काठमांडू में पुलिस स्टेशन से लेकर सरकारी दफ्तरों तक हिंसक झड़पें हुईं।
बाहरी ताकतों की आशंका: विशेषज्ञों का मानना है कि आंदोलन स्वतःस्फूर्त दिखता है, लेकिन नेपाल की अस्थिर राजनीति में बाहरी ताकतें सक्रिय हो सकती हैं। ओली चीन समर्थक माने जाते हैं और उनका पहला दौरा भी भारत की बजाय चीन का रहा।
रणनीतिक महत्व: नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता भारत के लिए बड़ी चुनौती है। यह बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ छात्र आंदोलन के बाद दक्षिण एशिया में दूसरी बड़ी उथल-पुथल है।
अमरीका बनाम चीन: नेपाल ने चीन की बीआरआइ के फ्रेमवर्क पर दस्तखत किए, वहीं अमरीका एमसीसी के तहत अरबों का निवेश कर रहा है। ऐसे में यह आंदोलन भू-राजनीतिक खींचतान से भी जुड़ा हो सकता है।
अनिश्चित भविष्य: नेपाल में युवाओं का असंतोष वास्तविक है, लेकिन इसे बाहरी हितों से जोड़कर देखने की थ्योरीज भी जोर पकड़ रही हैं। यही वजह है कि नेपाल का संकट घरेलू असंतोष और अंतरराष्ट्रीय राजनीति का मिश्रण लगता है।