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न किसी का वेतन कटा, न उपस्थिति पर सवालई-अटेंडेंस में अफ सरों की सुस्ती और शिक्षकों की चुप्पी

No one's salary was cut, no questions raised on attendance Officers' laziness and teachers' silence in e-attendance

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No one's salary was cut, no questions raised on attendance

नरसिंहपुर- जिले में शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए 1 जुलाई से शुरू की गई हमारे शिक्षक ई-अटेंडेंस प्रणाली पहले ही महीने में सुस्त रफ्तार से चल रही है। शिक्षा विभाग ने इसे पारदर्शी, डिजिटल और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली योजना बताते हुए अनिवार्य किया था। लेकिन हकीकत में न तो अधिकारियों ने सख्ती दिखाई और न ही शिक्षक इसे गंभीरता से ले रहे हैं। पहले ही महीने के आंकड़े बता रहे हैं कि ई-अटेंडेंस का लक्ष्य अभी दूर है। न निरीक्षण की सख्ती और न जवाबदेही की कसौटीकृनतीजा यह कि डिजिटल उपस्थिति फि लहाल केवल कागजों में ही लागू है।
जिले में कुल 5257 शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें से करीब 3781 शिक्षकों ने पोर्टल पर लॉगिन किया। लेकिन इनमें से लगभग 2 हजार शिक्षक नियमित उपस्थिति दर्ज कराने में पीछे रह गए। वहीं,डेढ़ हजार से ज्यादा शिक्षक अब तक ऐप से जुड़े ही नहीं हैं, जिससे साफ है कि उन्होंने मोबाइल में हमारे शिक्षक एप डाउनलोड तक नहीं किया।
तकनीकी खामियां बनी बहाना
शिक्षकों का कहना है कि कई स्कूलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहद कमजोर है। जिससे ऐप खुलने में दिक्कत आती है। कुछ शिक्षक बार-बार लॉगिन फेल होने की शिकायत कर रहे हैं। जबकि कई के मोबाइल फ ोन तकनीकी रूप से इस एप को सपोर्ट नहीं कर पा रहे। नतीजा डिजिटल उपस्थिति व्यवस्था का उद्देश्य ही अधूरा रह गया है।
अधिकारियों की चुप्पी से बढ़ी ढिलाई
गौर करने वाली बात यह है कि अब तक न तो किसी शिक्षक के वेतन पर असर डाला गया और न ही अनुपस्थिति या ऐप का उपयोग न करने पर कोई पूछताछ हुई। अफसरों की इस नरमी से शिक्षकों में भी लापरवाही का भाव बढ़ा है। कुछ शिक्षक मानते हैं कि जब तक एप पूरी तरह स्थिर नहीं हो जाता। तब तक इसकी अनिवार्यता दबाव पैदा कर रही है। उन्हें डर है कि अगर तकनीकी गड़बड़ी से वे अनुपस्थित दिखा दिए गए तो इसका असर वेतन और सेवावधि पर पड़ सकता है।
तकनीकी खामियां बनी बहाना
शिक्षकों का कहना है कि कई स्कूलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहद कमजोर है। जिससे ऐप खुलने में दिक्कत आती है। कुछ शिक्षक बार-बार लॉगिन फेल होने की शिकायत कर रहे हैं। जबकि कई के मोबाइल फ ोन तकनीकी रूप से इस एप को सपोर्ट नहीं कर पा रहे। नतीजा डिजिटल उपस्थिति व्यवस्था का उद्देश्य ही अधूरा रह गया है।
अधिकारियों की चुप्पी से बढ़ी ढिलाई
गौर करने वाली बात यह है कि अब तक न तो किसी शिक्षक के वेतन पर असर डाला गया और न ही अनुपस्थिति या ऐप का उपयोग न करने पर कोई पूछताछ हुई। अफसरों की इस नरमी से शिक्षकों में भी लापरवाही का भाव बढ़ा है। कुछ शिक्षक मानते हैं कि जब तक एप पूरी तरह स्थिर नहीं हो जाता। तब तक इसकी अनिवार्यता दबाव पैदा कर रही है। उन्हें डर है कि अगर तकनीकी गड़बड़ी से वे अनुपस्थित दिखा दिए गए तो इसका असर वेतन और सेवावधि पर पड़ सकता है।
वर्जन
ई अटेडेंस सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य है। इसकी समीक्षा की जाएगी और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
संदीप नेमा प्रभारी जिला शिक्षाधिकारी नरसिंहपुर

पोर्टल पर सामने आई उपस्थिति की हकीकत
दिनांक कुल शिक्षक उपस्थित ट्रेेनिंग अवकाश
7अगस्त 2025 5257 2913 46 53
8अगस्त 2025 5257 2969 1 59

11अगस्त 2025 5257 3240 0 94

Published on:
19 Aug 2025 08:00 pm
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