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यदि कोई अधिकारी स्वयं कानून का पालन नहीं करता है तो क्या ऐसे व्यक्ति को शक्तियां सौंपी जानी चाहिए

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने दतिया के एसडीएम (एसडीओ) संतोष तिवारी की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि तिवारी ने जानबूझकर अदालत द्वारा मांगा गया रिकॉर्ड समय पर प्रस्तुत नहीं किया, जिससे सुनवाई में विलंब हुआ। कोर्ट ने इस कृत्य को संवैधानिक व शत्रुतापूर्ण रवैया करार दिया। एसडीएम पर 25 हजार […]

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Sep 26, 2025
The court referred the matter to the Chief Secretary and Datia Collector for consideration and also imposed a fine of Rs 25 on the SDM.

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने दतिया के एसडीएम (एसडीओ) संतोष तिवारी की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि तिवारी ने जानबूझकर अदालत द्वारा मांगा गया रिकॉर्ड समय पर प्रस्तुत नहीं किया, जिससे सुनवाई में विलंब हुआ। कोर्ट ने इस कृत्य को संवैधानिक व शत्रुतापूर्ण रवैया करार दिया। एसडीएम पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने मामला मुख्य सचिव व दतिया कलेक्टर को विचार करने के लिए भेजा है। कहा कि यदि कोई अधिकारी, जिसे नागरिकों के अधिकार तय करने का दायित्व सौंपा गया है, स्वयं कानून की पालना नहीं करता तो यह देखना आवश्यक है कि क्या ऐसे अधिकारी को इस प्रकार की शक्तियां सौंपी जानी चाहिए।

दतिया में प्रवीण कुमार गुप्ता व शैलेंद्र शर्मा के बीच संपत्ति विवाद चल रहा है। शैलेंद्र गुप्ता ने हाईकोर्ट में सेकेंड अपील दायर की। इस अपील में हाईकोर्ट ने भाड़ा नियंत्रक अधिकारी की रिपोर्ट व रिकॉर्ड तलब किया था, लेकिन कोर्ट में रिकॉर्ड पेश नहीं किया गया। इसको लेकर कोर्ट ने कहा कि 3 सितम्बर और 23 सितम्बर 2025 को दो अवसर दिए जाने के बावजूद संतोष तिवारी ने लिखित स्पष्टीकरण दाखिल नहीं किया। केवल यह कहा गया कि रिकॉर्ड पुराना होने के कारण समय पर नहीं मिल पाया, जबकि मामला वर्ष 2022-23 का था और 20 सितम्बर 2022 को अंतिम आदेश भी पारित किया जा चुका था। कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए इसे लापरवाही और आदेशों की अवहेलना माना। संतोष तिवारी को तलब कर लिया।

26 तक जुर्माने की राशि जमा करनी होगी

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ग्वालियर और दतिया की दूरी महज 70 किलोमीटर है। बावजूद इसके रिकॉर्ड 23 सितम्बर 2025 की शाम को ही कोर्ट रजिस्ट्री में प्राप्त हुआ। तिवारी ने कोर्ट में माफी मांगी। कोर्ट ने तिवारी की मौखिक सफाई को स्वीकार करते हुए कहा कि अवांछित और निंदनी। वे 26 सितम्बर तक अपने निजी बैंक खाते से 25,000 रुपए की लागत जमा करें। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यह राशि राज्य सरकार से प्रतिपूर्ति नहीं की जा सकेगी।

Published on:
26 Sept 2025 11:12 am
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