जगनापुरा की 1.024 हेक्टेयर सरकारी भूमि को खुर्दबुर्द करने का मामला सामने आया है। जिला कोर्ट में वाद पेश किया और शासन को एक पक्षीय घोषित कर राजीनामा किया और 6 जुलाई 2024 को अपने पक्ष में डिक्री करा ली।
जगनापुरा की 1.024 हेक्टेयर सरकारी भूमि को खुर्दबुर्द करने का मामला सामने आया है। जिला कोर्ट में वाद पेश किया और शासन को एक पक्षीय घोषित कर राजीनामा किया और 6 जुलाई 2024 को अपने पक्ष में डिक्री करा ली। एक साल बाद शासन को सरकारी जमीन की एक डिक्री की जानकारी मिली। शासन ने जमीन को खुदबुर्द होने से बचाने के लिए न्यायालय में आवेदन दायर किया है। शासन ने तर्क दिया है कि पक्षकार चतुर-चालाक व कानून की बारीकियां समझते हैं। इसका फायदा उठाकर सरकारी जमीन हड़प रहे हैं। इस जमीन पर प्लॉट काट रहे हैं निर्माण कर रहे हैं। जमीन सरकारी है। इसलिए शासन का पक्ष सुनकर फिर से फैसला किया जाए। कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दरअसल विलासराव लाड (वादी) ने 2023 में जगनापुरा के सर्वे क्रमांक 123, 124, 125, 126 व 133 को लेकर वाद पेश किया। इस वाद में मध्य प्रदेश शासन सहित संभाजीराव लाड़, अर्जुन लाड़ को प्रतिवादी बनाया। दावे में शासन के खिलाफ कोई सहायता नहीं चाही गई, लेकिन राज्य शासन की ओर से कोई जवाब के लिए उपस्थित नहीं हुआ। इसके बाद कोर्ट ने राज्य शासन को एक पक्षीय घोषित कर दिया। विलासराव लाड़ व संभाजीराव लाड़, अर्जुन लाड़ ने आपसी सहमति से समझौता कर विवाद खत्म कर लिया। दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से संपत्ति का बंटवारा कर लिया। ज्ञात है कि वर्तमान में जमीन पर निर्माण भी शुरू कर दिया है। मॉल तैयार किया जा रहा है। जमीन की कीमत करीब 20 करोड़ से अधिक है।
- शासन ने तर्क दिया है कि अधिवक्ताओं के कार्य में बदलाव हुआ था। इस कारण फाइल की जानकारी नहीं मिल सकी। इसका फायदा उठाते हुए पक्षकारों ने उन्हें एक पक्षीय घोषित कराया है।
- जमीन पड़ती कदीम, सेडा व आबादी के रूप में दर्ज है। जमीन ग्वालियर गवर्नमेंट के नाम से थी।
- जमीन पर राजीनामा नहीं किया जा सकता है। शासन के दस्तावेज रिपोर्ट पर लिए जाएं।
इन सर्वे नंबर पर किया राजीनामा
सर्वे नंबर रकबा (हेक्टेयर)
123 0.188
124 0.084
125 0.010
126 0.617
133 0.125
सरकारी जमीन पर शासन को एक पक्षीय कर डिक्री ली है। शासन के दस्तावेज व आदेश में बदलाव के लिए फिर से आवेदन लगाया है। जमीन के रिकॉर्ड में मिल्कियत ग्वालियर स्टेट लिखी है। दोनों पक्षकारों ने यह नहीं बताया कि उन्हें जमीन कहां से मिली।
एमपी बरुआ, शासकीय अधिवक्ता